Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Sep 2017 · 2 min read

शिक्षक दिवस पर कुछ विधाता छंद पर मुक्तक

1
किताबी ज्ञान ही केवल, नहीं शिक्षक सिखाता है
कमी अच्छाई बतलाकर हमें खुद से मिलाता है
भटकने वो नहीं देता कभी भी लक्ष्य से हमको
हमारा मार्गदर्शक बन ,सही राहें दिखाता है

2
बने इंजीनियर डॉक्टर , ही आरक्षण यहाँ पाकर
बने शिक्षक यहां भी हैं बहुत कम अंकों’ को लाकर
बताओ ज्ञान ही जिनका यहां पर खुद अधूरा है
सिखायेंगे वही कैसे ये पूछे हम कहाँ जाकर

3
ये माना हमने गूगल जी , सभी को ज्ञान देते हैं
इन्हें कुछ लोग शिक्षक से , ज्यादा मान देते हैं
मगर ये सत्य है हर काम गूगल कर नहीं सकता
उचित अनुचित की’ शिक्षक ही, हमें पहचान देते हैं

4
जगत में ज्ञान के दीपक , सदा शिक्षक जलाते हैं
अँधेरों में उजालों के हमें सपने दिखाते हैं
तभी संसार मे स्थान गुरुओं का बड़ा ऊंचा
हमें ये रास्ता गोविंद ,से’ मिलने का बताते हैं

5
बहुत ढोंगी यहाँ बाबा, न इनके झाँसे में आना
गुरु इनको बनाकर के ,न सेवा में ही लग जाना
ये ‘ मुंह से राम जपते रास्ते पर पाप के इनके
अगर तुम फँस गये इक बार मुश्किल है निकल पाना

6
हमें माँ पाठ दुनियादारी का पढ़ना सिखाती है
पिता की सीख मुश्किल से हमें बचना सिखाती है
जलाते ज्ञान के दीपक गुरू दिल मे हमारे हैं
इन्ही की रोशनी जग में हमें चलना सिखाती है

7

हमने खुद को महकाया है , सुन्दर भावों के चंदन से
खूब सजाया है हिंदी को,मिलकर इसके स्वर व्यंजन से
बिन सोचे समझे ही हमने ,पाप अनेकों कर डाले हैं
लेकिन पुण्यों का फल पाया, हमने केवल गुरु वंदन से

डॉ अर्चना गुप्ता
4-9-2017

1 Like · 1602 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
*
*"राम नाम रूपी नवरत्न माला स्तुति"
Shashi kala vyas
तू  मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
तू मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
कृष्णकांत गुर्जर
बेनागा एक न एक
बेनागा एक न एक
*Author प्रणय प्रभात*
आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है।
आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है।
Buddha Prakash
मंगल दीप जलाओ रे
मंगल दीप जलाओ रे
नेताम आर सी
जैसी सोच,वैसा फल
जैसी सोच,वैसा फल
Paras Nath Jha
कोयल (बाल कविता)
कोयल (बाल कविता)
नाथ सोनांचली
बरसात (विरह)
बरसात (विरह)
लक्ष्मी सिंह
🌹*लंगर प्रसाद*🌹
🌹*लंगर प्रसाद*🌹
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कुछ रातों के घने अँधेरे, सुबह से कहाँ मिल पाते हैं।
कुछ रातों के घने अँधेरे, सुबह से कहाँ मिल पाते हैं।
Manisha Manjari
काश
काश
Sidhant Sharma
हमारी आंखों में
हमारी आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
अद्भुद भारत देश
अद्भुद भारत देश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
परिश्रम
परिश्रम
Neeraj Agarwal
* रंग गुलाल अबीर *
* रंग गुलाल अबीर *
surenderpal vaidya
एकांत
एकांत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
" ज़ख़्मीं पंख‌ "
Chunnu Lal Gupta
सिर्फ़ सवालों तक ही
सिर्फ़ सवालों तक ही
पूर्वार्थ
हाथ जिनकी तरफ बढ़ाते हैं
हाथ जिनकी तरफ बढ़ाते हैं
Phool gufran
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
तुमसे मैं एक बात कहूँ
तुमसे मैं एक बात कहूँ
gurudeenverma198
उर्दू
उर्दू
Surinder blackpen
*जन्मभूमि के कब कहॉं, है बैकुंठ समान (कुछ दोहे)*
*जन्मभूमि के कब कहॉं, है बैकुंठ समान (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-322💐
💐प्रेम कौतुक-322💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Neelam Sharma
🌿⚘️ मेरी दिव्य प्रेम कविता ⚘️🌿
🌿⚘️ मेरी दिव्य प्रेम कविता ⚘️🌿
Ms.Ankit Halke jha
गलतियां ही सिखाती हैं
गलतियां ही सिखाती हैं
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अगर ये सर झुके न तेरी बज़्म में ओ दिलरुबा
अगर ये सर झुके न तेरी बज़्म में ओ दिलरुबा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...