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9 Nov 2016 · 1 min read

शायरी

ये मौसम बदलता जा रहा है रंग अपना,
और वो अपनी बात पर कायम है।
सुबह आफ़ताब के आगोश में है,
जिद्दी है अँधेरा, रात पर कायम है।
*** ***
हर लम्हा उसके ख़्वाबों में कायनात बसर होती है,
रात ढलती तो है, पर कहाँ सहर होती है।
*** ***
उसकी आँखों में जो नफ़रत नज़र आती है,
उसके पीछे एक प्यार की प्यारी कहानी है।
ये दर्द की सलवटें जो चेहरे पर सजी है,
उसके नादान गुनाहों की निशानी है।
*** ***
उसने कहा था भूल जाने को,
अक्सर हमें वो ही बात याद आ जाती है।
*** ***
कौन कहता है डूब कर हार जाएंगे,
‘दवे’ ये मुहब्बत है, जितना गहरा डूबेंगे उतना प्यार पाएंगे।
*** **

Language: Hindi
Tag: शेर
712 Views
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