Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2017 · 2 min read

लघुकथा- चाहत

लघुकथा- चाहत

पिता ने शादी तय होते ही एक निवेदन किया था, जिसे लड़के ने मान लिया था.

“ बेटा ! एक ही विनती है,” बारात का स्वागत करते हुए पिता ने याद दिलाया तो दुल्हे ने कहा , “ आप निश्चिन्त रहिए. मुझे याद है.”

“ पिता हूँ बेटा. दिल नहीं मनाता है इसलिए याद दिला रहा हूँ,” फेरे आरम्भ होते ही पिता ने हाथ जोड़ कर वही बात दोहराई तो उन की पत्नी चुप न रह सकी ,” सुनो जी ! आप बारबार यही बात क्यों दोहरा रहे है. जब उन्हों ने कहा दिया है कि …..”

“ तू नहीं जानती भागवान. पिता का दिल क्या होता है ? यह हमारी लाडली बच्ची है. मैं नहीं चाहता हूँ कि उसे ससुराल में कोई अपमान सहन करना पड़े.” पिता भावुकता में कुछ और कहते की पत्नी बोल उठी, “ मैं उस की माँ हूँ. भला ! मैं क्यों नहीं जानूंगी. मगर , आप … ”

यह सुन कर पिता खींज उठे, “ तुझे क्या पता. कब, कहाँ, कैसी बातें करना चाहिए ? तुझे तो ठीक से बात करना भी नहीं आता.”

“ क्या !” पत्नी ने आसपास देखते हुए लोगों की निगाहे से बच कर अपने आंसू पौछ लिए.

“ मैंने दामादजी से कह दिया. मेरी बच्ची से भले ही खूब काम करवाना. मगर गलती हो तो दूसरे के सामने जलील मत करना. उस का दिल मत दुखाना. जब कि यह बात तुझे कहना चाहिए थी ,” पिता ने तैश में कहा तो पत्नी ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी. वह शादी में कोई बखेड़ा खड़ा करना नहीं चाहती थी.

मगर जब बिदाई के समय पिता ने वही बात दोहराना चाही तो बेटी ने एक चिट्ठी निकाल कर पिता की ओर बढ़ा दी. जिस में लिखा था, “ पापा ! मम्मी भी किसी की बेटी है. काश ! आप भी यह समझ पाते .”

यह पढ़ कर पिता जमीन पर गिरतेगिरते बचे और माँ के बंधनमुक्त हाथ, आज पहली बार आशीर्वाद के लिए उठे थे और सजल आँखे आसमान की ओर निहार रही थी.
————————-
ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
पोस्ट ऑफिस के पास रतनगढ़
जिला- नीमच- ४५८२२६ (मप्र)
९४२४०७९६७५
०३/०६/२०१६

Language: Hindi
465 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यह मन
यह मन
gurudeenverma198
थम जाने दे तूफान जिंदगी के
थम जाने दे तूफान जिंदगी के
कवि दीपक बवेजा
अजनबी
अजनबी
Shyam Sundar Subramanian
बैठ अटारी ताकता, दूरी नभ की फाँद।
बैठ अटारी ताकता, दूरी नभ की फाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
फारवर्डेड लव मैसेज
फारवर्डेड लव मैसेज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मकर संक्रान्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
*अध्याय 10*
*अध्याय 10*
Ravi Prakash
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
फितरत से बहुत दूर
फितरत से बहुत दूर
Satish Srijan
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
सूर्यदेव
सूर्यदेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
थोथा चना
थोथा चना
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-471💐
💐प्रेम कौतुक-471💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपने क़द से
अपने क़द से
Dr fauzia Naseem shad
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
कवि रमेशराज
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
Dushyant Kumar Patel
हमको
हमको
Divya Mishra
मौन में भी शोर है।
मौन में भी शोर है।
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
शायर देव मेहरानियां
मेरी औकात के बाहर हैं सब
मेरी औकात के बाहर हैं सब
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
Keshav kishor Kumar
मुझे कृष्ण बनना है मां
मुझे कृष्ण बनना है मां
Surinder blackpen
अदरक वाला स्वाद
अदरक वाला स्वाद
दुष्यन्त 'बाबा'
2643.पूर्णिका
2643.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
फरियादी
फरियादी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
Loading...