Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2017 · 2 min read

ये बेटियां

1

लक्ष्मी काली दुर्गा का अवतार है ये बेटियाँ,
शेर पर जो जैसे कि सवार है ये बेटियाँ।।

हाथों में लिए तलवार और कटार को,
दुष्टों के संहार को प्रहार है ये बेटियाँ।।

सेना में भी सीमा पे भी लड़ के दिखने को,
दुश्मन को खदेड़ने तैयार है ये बेटियाँ।।

कितने बड़े बेवडे ऐडे राहों में खड़े हो पर,
पार करती है तकरार है ये बेटियाँ।।

सच्ची लाठी बुढ़ापे की बेटियाँ माँ बाप की,
सेवा भाव में तो पारावार है ये बेटियाँ।।

करके पढाई कुछ बन के दिखाई तो,
बोला सारा गाँव जै जै कार है ये बेटियाँ।।

भ्रूण हत्या रोककर समाज ने दिखाया तो,
करने को तैयार चमत्कार है ये बेटियाँ।।

बेटियों को रोको नहीं आने दो संसार में,
मानेगी तुम्हारा उपकार है ये बेटियाँ।।

2

मम्मी पापा दोनों की ही बागों की वो क्यारी है।
आंटी अंकल दादा दादी सबकी दुलारी है।।

कली कली खिले घर आँगन की बगिया तो,
बेटियों से गली गली गूँजे किलकारी है।।

तुतलाति हकलाति बतलाती बतिया जो,
मिश्री सा मीठा रस घोलती जो प्यारी है।।

बेटियाँ चमक रहीं बेटियाँ दमक रहीं,
बेटियाँ सुमन मन अमन फुलवारी है।।

बेटी है तो कल है बेटी बिना हल नहीं,
बेटी से भी आजकल चलती बयारी है।।

कम नहीं मानों कभी बेटियों को बेटों से,
बेटों के समान चढ़े बेटियाँ पहाड़ी है।।

बेटियाँ गगन में गमन कर रही है अब,
हाथों में खड्ग और शेर की सवारी है।।

दुनिया बचाना है तो बेटियाँ बचालो तुम,
बेटियाँ बचाने से ही बचे दुनिया सारी है।।

3

बेटियों को पूरा अधिकार होना चाहिये।
बेटियाँ सभी को ही स्वीकार होना चाहिये।।

हाथों में न हथकड़ी पाँवों में न बेड़ी हो,
बेटियों का खुला सन्सार होना चाहिये।।

आन बाण शान सम्मान अभिमान भी,
बेटी के लिए भी दरकार होना चाहिये।।

बिन बेटी गांव की चौपाल न सजाई जाए,
बेटियों का उसमें शुमार होना चाहिये।।

आफिसो में अधिकारी बने सरकारी वो,
बेटियों से भरी सरकार होना चाहिये।।

कहते हैं कि बिन बेटी घर भी अधूरा है तो,
बेटियों का घर में दीदार होना चाहिये।।

भोली भली बेटी मेरी बहू तेरी बेटी है तो,
बहुओं को बेटियों सा प्यार होना चाहिये।।

– कवि साहेबलाल सरल

777 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* वक्त की समुद्र *
* वक्त की समुद्र *
Nishant prakhar
* किधर वो गया है *
* किधर वो गया है *
surenderpal vaidya
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम पथ का एक रोड़ा 🛣️🌵🌬️
प्रेम पथ का एक रोड़ा 🛣️🌵🌬️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
*जिंदगी भर धन जुटाया, बाद में किसको मिला (हिंदी गजल)*
*जिंदगी भर धन जुटाया, बाद में किसको मिला (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
श्रावणी हाइकु
श्रावणी हाइकु
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जीवन उत्साह
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
' जो मिलना है वह मिलना है '
' जो मिलना है वह मिलना है '
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
वीरगति
वीरगति
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
मौन में भी शोर है।
मौन में भी शोर है।
लक्ष्मी सिंह
💐प्रेम कौतुक-466💐
💐प्रेम कौतुक-466💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अहंकार का एटम
अहंकार का एटम
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
संघर्ष
संघर्ष
विजय कुमार अग्रवाल
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
पूर्वार्थ
भगतसिंह की क़लम
भगतसिंह की क़लम
Shekhar Chandra Mitra
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
Vijay kumar Pandey
3091.*पूर्णिका*
3091.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
भगवा है पहचान हमारी
भगवा है पहचान हमारी
Dr. Pratibha Mahi
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
फेसबुक पर सक्रिय रहितो अनजान हम बनल रहैत छी ! आहाँ बधाई शुभक
फेसबुक पर सक्रिय रहितो अनजान हम बनल रहैत छी ! आहाँ बधाई शुभक
DrLakshman Jha Parimal
ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम कविता
ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम कविता
Shyam Pandey
खुद की नज़रों में भी
खुद की नज़रों में भी
Dr fauzia Naseem shad
"वक्त की औकात"
Ekta chitrangini
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
Loading...