” यहाँ ज़िंदगी , बोझ तले है ” !!
निज का काम ,
निज को साजे !
हाथ पैर को ,
कब तक बांधें !
सदा बोझ को
ढोते आये –
मजबूत अभी ,
जानो कांधे !
खुशियां यहां ,
बड़ी दूर हैं –
यहां जिंदगी ,
गले गले है !!
पीछे छोड़ा
आज समय को !
हमें जीतना
आज समर तो !
अब दूर खड़ी
हैं बाधाएं ,
यहां हारना –
आज उमर को !
घूंट घूंट भर
पी है पीड़ा –
यहां जिंदगी ,
तभी पले है !!
रोटी, पेट है ,
आगे आया !
इसने हमको ,
है धमकाया !
यों लक्ष्य सदा
छूटा हाथों –
परिश्रम का ही ,
है सरमाया !
हार जीत क्या
खोया पाया –
यहां जिंदगी
कभी खले है !!
आस निरास का ,
खेल निराला !
हाथ रहा है ,
खाली प्याला !
बूंद बूंद को
रहे तरसते ,
कठिनाई से –
मिला निवाला !
उम्मीदों ने
सींची आशा –
यहां जिंदगी ,
हमें छले है !!
बृज व्यास