Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Apr 2017 · 3 min read

भारत में लोकतंत्र : उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ

“भारत में लोकतंत्र : उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ ”
============================
जन का जनता के लिए ,जन का ऐसा कार |
अपनी मर्जी से चुनें , सुयोग्यतम सरकार ||
—————————————————–
” लोकतंत्र ” जनता का ,जनता के लिए और जनता के द्वारा निर्मित एक ऐसा सशक्त तंत्र है ,जो सदैव लोककल्याणकारी होता है | यह एक संवैधानिक व्यवस्था है ,जो संविधान के प्रावधानों के अनुरूप संचालित संप्रभुता
भारत में लोकतंत्र की स्थापना का उद्घोष भारतीय संविधान की उद्देशिका(प्रस्तावना) की प्रथम पंक्ति– “हम भारत के लोग”……… के द्वारा सुनिश्चित हुई है ,जिसमें भारत को प्रभुत्व सम्पन्न ,समाजवादी,पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के साथ ही न्याय, स्वतंत्रता, समानता ,बंधुत्व ,प्रतिष्ठा और अवसर की समता ,व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता के उच्चतम आदर्शों की स्थापना की गई है | चूँकि लोकतंत्र , सम्प्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है अत: सर्वोच्च शक्ति जनता के हाथ में होती है | हमारे देश में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की बजाए अप्रत्यक्ष लोकतंत्र विद्यमान है , जिसमें लोगों के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि , जनता के वास्तविक प्रतिनिधि बनकर सत्ता की शक्ति का इस्तेमाल जनता और राष्ट्र के हित में करते हैं |

लोकतंत्र के उद्देश्य :~ चूँकि लोकतंत्र में जनता को सर्वोपरि स्थान दिया जाता है | जनता ही इसका केन्द्रीय विषय है | अत : लोकतंत्र का वास्तविक उद्देश्य जनता और राष्ट्र हितों को प्राप्त करना है | लोकतंत्र के उद्देश्यों को निम्नांकित बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते हैं —
१. जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना :~ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में कोई भी व्यस्क नागरिक राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है तथा जनता का प्रतिनिधि बनकर जनप्रतिनिधित्व कर सकता है |
२. मूल अधिकारों की रक्षा करना :~ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में व्यक्ति के मूल अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया जाता है ,ताकि वह शिक्षा ,समानता,स्वतंत्रता जैसे आदर्शों को संजोया जा सके |
३. राष्ट्र-हितों की रक्षा करना :~ लोकतंत्र जनता का ,जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन होने के कारण इसके माध्यम से राष्ट्र-हितों को बल मिलता है और राष्ट्र-निर्माण और विकास में योगदान सदैव बना रहता है |
४. शक्तियों का विकेन्द्रीकरण :~ लोकतंत्र में शक्तियों का केन्द्रीकरण होने के तत्पश्चात विकेन्द्रीकरण अभीभूत होता है ,जिसमें वंचित और लक्षित वर्गों तक विकास संभव होता है तथा जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचता है |
५. जवाबदेह ,पारदर्शी और उत्तरदायी शासन की स्थापना :~ लोकतंत्र में जनता की अप्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित होने के कारण जनप्रतिनिधियों में भय की भावना सदा बनी रहती है जिसके परिणामस्वरूप शासन में जवाबदेहता ,पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का समावेश हो जाता है और शासन सुचारू रूप से संचालित होता है |
६. संवैधानिक शासन को मान्यता :~ लोकतंत्र में संविधान को सर्वोपरि मानते हुए उनके आदर्शों के अनुसार शासन संचालित होता है |
७. निष्पक्ष चुनाव प्रणाली को मान्यता :~ लोकतंत्र में गुप्त मतदान प्रणाली को अपनाकर निष्पक्ष निर्वाचन प्रणाली की प्रतिस्थापना की गई है ,जो कि लोकतंत्र की रक्त-प्रणाली होती है |
८. कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना :~ भारत में लोकतंत्र के माध्यम से संवैधानिक शासन प्रणाली का अनुसरण करते हुए राज्य के नीति निदेशक तत्वों को समाहित किया गया है ,जिसका मूल उद्देश्य — कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है |
९. आदर्शों की स्थापना करना :~ लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में अनेक उच्चतम आदर्शों को समाहित किया गया है जो इस प्रकार हैं —
— स्वतंत्रता
— समानता
— बंधुता
— गरिमा
— एकता
— अखंडता
— न्याय
— प्रतिष्ठा
— संप्रभुताग

लोकतंत्र की उपलब्धियाँ :~ भारतीय समाजवाद “साम्यवादी लोकतंत्र” की अपेक्षा ” लोकतांत्रिक समाजवाद ” है | लोकतांत्रिक समाजवाद होने के कारण भारत “मिश्रित अर्थव्यवस्था” में विश्वास रखता है ,जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी साथ-साथ चलती हैं | अत: राष्ट्र-निर्माण और विकास में दोनों की भागीदारी सुनिश्चित होती है ,जो विविध विकासात्मक उपलब्धियों के लिए उत्तरदायी होते हैं | भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं —
१. समानता, स्वतंत्रता ,बंधुत्व और न्याय के आदर्शों की स्थापना |
२. पंचायती राज के माध्यम से शासन का विकेन्द्रीकरण |
३. महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता |
४. सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक न्याय की स्थापना |
५. आर्थिक समाजवाद के रूप में वैश्वीकरण , निजीकरण और उदारीकरण का उद्भव और विकास |
६. वंचित और गरीब नागरिकों का समाज की मुख्य धारा से जुड़ाव |
७. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के कारण मानवाधिकारों और समाज के प्रति दृष्टिकोण का विकास |
८. प्रकृति-संस्कृति का सामंजस्य और जनजागरूकता का विकास |
९. सूचना के अधिकार की क्रियान्विती के परिणामस्वरूप जवाबदेहता ,पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की भावना का विकास |
१०. जनधन योजना ,मुद्रा योजना और मनरेगा जैसे कार्यक्रमों का सफलता पूर्वक क्रियान्वयन |
११. सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक विकास के द्वारा राष्ट्र-निर्माण की नींव मजबूत करना |
१२. सहकारिता के माध्यम से जनसहभागिता द्वारा नवाचार और नव-निर्माण करना |
१३. आधारभूत संरचना का विकास |
१४. नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण |
१५. कल्याणकारी राज्य की स्थापना |
—————————————————– —– डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 4800 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चलता ही रहा
चलता ही रहा
हिमांशु Kulshrestha
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
VEDANTA PATEL
"गूंगी ग़ज़ल" के
*Author प्रणय प्रभात*
कभी कभी चाहती हूँ
कभी कभी चाहती हूँ
ruby kumari
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
अध्यापक दिवस
अध्यापक दिवस
SATPAL CHAUHAN
"जिंदगी"
नेताम आर सी
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जो हुआ वो गुज़रा कल था
जो हुआ वो गुज़रा कल था
Atul "Krishn"
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
तहरीर लिख दूँ।
तहरीर लिख दूँ।
Neelam Sharma
गरीब की आरजू
गरीब की आरजू
Neeraj Agarwal
जो सच में प्रेम करते हैं,
जो सच में प्रेम करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
बरसात के दिन
बरसात के दिन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जिस तरीके से तुम हो बुलंदी पे अपने
जिस तरीके से तुम हो बुलंदी पे अपने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वर्णमाला
वर्णमाला
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
याद आते हैं वो
याद आते हैं वो
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
💐प्रेम कौतुक-515💐
💐प्रेम कौतुक-515💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
परमेश्वर का प्यार
परमेश्वर का प्यार
ओंकार मिश्र
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मत पूछो मुझ पर  क्या , क्या  गुजर रही
मत पूछो मुझ पर क्या , क्या गुजर रही
श्याम सिंह बिष्ट
3011.*पूर्णिका*
3011.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
Ram Krishan Rastogi
कुछ नही हो...
कुछ नही हो...
Sapna K S
सहकारी युग ,हिंदी साप्ताहिक का 15 वाँ वर्ष { 1973 - 74 }*
सहकारी युग ,हिंदी साप्ताहिक का 15 वाँ वर्ष { 1973 - 74 }*
Ravi Prakash
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
दीवानगी
दीवानगी
Shyam Sundar Subramanian
* धरा पर खिलखिलाती *
* धरा पर खिलखिलाती *
surenderpal vaidya
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
Manisha Manjari
गुज़रा हुआ वक्त
गुज़रा हुआ वक्त
Surinder blackpen
Loading...