Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2017 · 5 min read

आपकी सोच जीवन बना भी सकती है बिगाढ़ भी सकती है

सकारात्मक सोच व्यक्ति को उस लक्ष्य तक पहुंचा देती है जिसे वो वास्तव में प्राप्त करना चाहता है लेकिन उसके लिए एक दृण सकारात्मक सोच की आवश्यकता होती है| जब जीवन रुपी सागर में समस्यारूपी लहरें हमे डराने का प्रयत्न तो हमे सकारात्मकता का चप्पू दृण निश्चय के साथ उठाना चाहिए | यदि आप ऐसा करते है तो निश्चितरूप से मानकर चलिए आप की नैया किनारे लग ही जाएगी | लेकिन ये निर्भर करता है की उस समय समस्या के प्रति आपका दृष्टिकोण क्या है ,आप उन परिस्थितियों पर हावी होते है या परिस्थितियाँ आप पर दो पंक्तियाँ याद आती है नज़रें बदली तो नज़ारे बदले ,कश्ती ने बदला रुख तो किनारे बदले| सोच का बदलना जीवन का बदलना है जी हाँ आप जब चाहे अपने जीवन को बदल सकते है|
समाज में कई बार देखने को मिलता है की एक व्यक्ति जो पूरी मेहनत से काम करता है वो उस व्यक्ति से पीछे रह जाता है जो कम समय में मेहनत करता है और अधिक सफल दिखता है| यह प्राय: विद्यार्थियों के साथ भी देखा जाता है कम मेहनत करने वाला छात्र ज्यादा अंक अर्जित करने में सफल होता है| जबकि पूरे वर्ष लगन से पढ़ने वाला छात्र कई बार पिछड़ जाता है इसका कारण क्या है जी हाँ इसका कारण है हमारी सोच ,विचार और उसके अनुरूप किये गये हमारे कर्म हम जैसा सोचते है वैसे ही बनते चले जाते है | इसका एक सशक्त उदाहरण में आपको देना चाहूँगा | भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, गरीब मछुआरे के बेटे थे। बचपन में अखबार बेचा करते थे। आर्थिक कठनाईंयों के बावजूद वे पढाई करते रहे। सकारात्मक विचारों के कारण ही उन्होने भारत की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक सफलताएं हासिल कीं। अपने आशावदी विचारों से वे आज भारत में ही नही बल्कि पूरे विश्व में वंदनीय हैं। उन्हे मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है। हमारे देश में ही नही अपितु पूरे विश्व में ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होने विपरीत परिस्थिति में भी अपनी सकारत्मक वैचारिक शक्ति से इतिहास रचा है।
दूसरा उदाहरण आता है महानतम राजनेताऔं में से एक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल का जो बचपन में हकलाते थे, जिसके कारण उनके सहपाठी उन्हे बहुत चिढाया करते थे। अपनी हकलाहट के बावजूद चर्चिल ने बचपन में ही सकारत्मक विचारों को अपनाया और मन में प्रण किया कि, मैं एक दिन अच्छा वक्ता बनुंगा। उनके आशावादी विचारों ने विपरीत परिस्थिति में भी उन्हे कामयाबी की ओर अग्रसर किया। द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन को एक साहसी अनुभवी और सैन्य पृष्ठभूमि वाले प्रधानमंत्री की जरूरत थी। विस्टन चर्चिल को उस समय इस पद के लिये योग्य माना गया। राजनीति के अलावा उनका साहित्य में भी योगदान रहा। इतिहास, राजनीति और सैन्य अभियानों पर लिखी उनकी किताबों की वजह से उन्हे 1953 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। ये सब उपलब्धिया उनके सकारत्मक विचारों का ही परिणाम है।
सकारात्मक सोच का तीसरा उदाहरण आता है जो क्रिकेट प्रेमी है उन्होंने कई बार क्रिकेटरों को कहते सुना होगा कि एक दो चौका पङ जाने से दूसरी टीम का मनोबल टूट गया जिससे वे गलत बॉलिंग करने लगे और मैच हार गये। वहीं कुछ खिलाङियों के साथ ये भी देखने को मिलता है कि वे पुरे सकारात्मक विचारों से खेलते हैं परिस्थिती भले ही विपरीत हो तब भी, जिसका परिणाम ये होता है कि वे हारी बाजी भी जीत जाते हैं।
हमारी सकारात्मक सोच, सकारात्मक संवाद और सकारात्मक कार्यों का असर हमें सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। वहीं निराशा तथा नकारात्मक संवाद व्यक्ति को अवसाद में ले जाते हैं क्योंकि विचारों में बहुत शक्ति होती है। हम क्या सोचते हैं, इस बात का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर होता है। इसीलिए अक्सर निराशा के क्षणों में मनोवैज्ञानिक भी सकारात्मक संवाद एवं सकारात्मक कहानियों को पढने की सलाह देते हैं। हमारे सकारात्मक विचार ही मन में उपजे निराशा के अंधकार को दूर करके आशाओं के द्वार खोलते हैं।
सकारात्मक विचार की शक्ति से तो बिस्तर पर पङे रोगी में भी ऊर्जा का संचार होता है और वे पुनः अपना जीवन सामान्य तौर से शुरु कर पाता है। हमें अपने मस्तिष्क को महान विचारों से भर लेना चाहिए तभी हम महान कार्य संपादित कर सकते हैं। जैसे कि हम सोचे, मै ऊर्जा से भरपूर हूँ, आज का दिन अच्छा है, मैं ये कार्य कर सकता हूँ क्योकि विचार शैली विषम या प्रतिकूल परिस्थिति में भी मनोबल को ऊँचा रखती है। सकारात्मक व्यक्ति सदैव दूसरे में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
अक्सर देखा जाता है कि, हममें से कई लोग चाहे वो विद्यार्थी हों या नौकरीपेशा या अन्य क्षेत्र से हों काम या पढाई की अधिकता को देखकर कहने लगते हैं कि ये हमसे नहीं होगा या मैं ये नही कर सकता। यही नकारात्मक विचार उन्हे आगे बढने से रोकते हैं। यदि हम ना की जगह ये कहें कि हम कोशिश करते हैं हम ये कर सकते हैं तो परिस्थिति सकारात्मक संदेश का वातावरण निर्मित करती है। जिस तरह हम जब रास्ते में चलते हैं तो पत्थर या काटोँ पर पैर नही रखते उससे बचकर निकल जाते हैं उसी प्रकार हमें अपने नकारत्मक विचारों से भी बचना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार एक पेङ से माचिस की लाख से भी ज्यादा तीलियाँ बनती है किन्तु लाख पेङ को जलाने के लिए सिर्फ एक तीली ही काफी होती है। उसी प्रकार एक नकारात्मक विचार हमारे हजारों सपनो को जला सकता है।
हमारे विचार तो, उस रंगीन चश्में की तरह हैं जिसे पहन कर हर चीज उसी रंग में दिखाई देती है। यदि हम सकारात्मक विचारों का चश्मा पहनेंगे तो सब कुछ संभव होता नजर आयेगा। भारत की आजादी, विज्ञान की नित नई खोज सकारात्मक विचारों का ही परिणाम है। आज हमारा देश भारत विकासशील से बढकर विकसित राष्ट्र की श्रेणीं में जा रहा है। ये सब सकारात्मक विचारों से ही संभव हो रहा है। अतः हम अपने सपनो और लक्ष्यों को सकारत्मक विचारों से सिचेंगे तो सफलता की फसल अवश्य लहलहायेगी। बस, केवल हमें सकारात्मक विचारों को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा।
स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि, “मन में अच्छे विचार लायें। उसी विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बनायें। हमेशा उसी के बारे मे सोचें|

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1123 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अहंकार
अहंकार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
काफी है
काफी है
Basant Bhagawan Roy
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा  तेईस
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरे प्रेम पत्र
मेरे प्रेम पत्र
विजय कुमार नामदेव
उमंग
उमंग
Akash Yadav
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
Buddha Prakash
क्या होगा लिखने
क्या होगा लिखने
Suryakant Dwivedi
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
Shivkumar Bilagrami
"मुक्तिपथ"
Dr. Kishan tandon kranti
आश किरण
आश किरण
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
* जिन्दगी में *
* जिन्दगी में *
surenderpal vaidya
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
Amit Pandey
माँ महान है
माँ महान है
Dr. Man Mohan Krishna
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
अधूरी मुलाकात
अधूरी मुलाकात
Neeraj Agarwal
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
अनिल कुमार
I Can Cut All The Strings Attached
I Can Cut All The Strings Attached
Manisha Manjari
सरहद
सरहद
लक्ष्मी सिंह
नयी शुरूआत
नयी शुरूआत
Dr fauzia Naseem shad
मुझे  बखूबी याद है,
मुझे बखूबी याद है,
Sandeep Mishra
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
Bhupendra Rawat
जाने क्यूं मुझ पर से
जाने क्यूं मुझ पर से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बालकों के जीवन में पुस्तकों का महत्व
बालकों के जीवन में पुस्तकों का महत्व
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
प्यार का बँटवारा
प्यार का बँटवारा
Rajni kapoor
हैवानियत
हैवानियत
Shekhar Chandra Mitra
Loading...