Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2017 · 3 min read

नारी सृष्टि निर्माता के रूप में

आज के लेख की शुरुआत दुर्गा सप्तशती के इस श्लोक से करता हूँ इसमें कहा गया है…

विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः, स्त्रियाः समस्ताः सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्, का ते स्तुतिः स्तव्यपरापरोक्तिः॥ – दुर्गा सप्तशती
अर्थात्:- हे देवी! समस्त संसार की सब विद्याएँ तुम्हीं से निकली है तथा सब स्त्रियाँ तुम्हारा ही स्वरूप है। समस्त विश्व एक तुमसे ही पूरित है। अतः तुम्हारी स्तुति किस प्रकार की जाए|

नारी अद्भुत असीमित शक्तियों का भण्डार है अनगढ़ को सुगढ़ बनाने वाली नारी यदि समर्थ हो तो वो समाज और राष्ट्र की रुपरेखा बदल सकती है | नारी परिवार की धुरी होती है ये वो शक्ति है जो अपने स्नेह, प्रेम, करुना और भावनाओं से परिवार को जोड़ कर रखती है| ऐसी शक्ति स्वरूपा स्त्री अपने परिवार से अपने लिए थोड़ से सम्मान की आकांक्षा रखती है |पति का स्नेह उसकी शक्ति होता है जिसके बलबूते वो परिवार और अपने जीवन पर आने वाले बढे से बढे संकट से लोहा लेनी के लिए तैयार रहती है इस परिप्रेक्ष्य में सावित्री की कथा सर्वविदित है जो अपने दृढ़ निश्चय एवं सतीत्व की शक्ति से मृत्यु के देवता से सत्यवान के प्राण वापस ले आई थी | |
व्यक्ति और समाज के बीज की कड़ी है ‘परिवार’, और परिवार की धूरि है- ‘नारी’। परिवार मनुष्य के लिए प्रथम पाठशाला है। अन्य शिक्षाएं जैसे शिल्पकला कौशल, भौतिक शिक्षाएँ सरकारी या अन्य व्यवसायिक शिक्षाएं तो शैक्षणिक संस्थानों में दी जा सकती है, लेकिन शिशु को जिस संस्कार रूपी अमृत का शैशवावस्था से ही पान कराया जाता है, जहाँ उसे आत्मीयता एवं सहकार तथा सद्भाव के इंजेक्शन तथा अनुशासन रुपी टेबल से उसकी पाशविकता का उपचार किया जाता है वह परिवार ही है। जिसका मुखिया होता तो पुरुष है लेकिन महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व स्त्री द्वारा ही उठाये जाते है |
उस परिवार के वातावरण को स्वर्ग के समान या नरक के समान बनाना बहुत हद तक नारी के हाथ में होता है। वह चाहे तो अपने परिवार की फुलवारी में झाँसी की रानी, मदर टेरेसा, दुर्गावती,सिस्टर निवेदिता, गांधी, गौतम बुद्ध और तिलक, सुभाष बना सकती है या चाहे तो आलस्य प्रमाद में पड़ी रहकर भोगवादी संस्कृति और विलासी जीवन की पक्षधर बनकर, दिन भर टी.वी. देखना, गप्प करना , निरर्थक प्रयोजनों में अपनी क्षमता व समय को नष्ट कर बच्चों को कुसंस्कारी वातावरण की भट्टी में डालकर परिवार और समाज के लिए भारमूल सन्तान बना सकती है।
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिलते है जहां स्त्री ने अपनी सन्तान को पुरुष के सहयोग के बिना ही संस्कारी और सुसंस्कृत बनाया है | स्त्री पुरुष के बिना भी अपनी सन्तान को श्रेष्ठ और समाजोपयोगी बना सकती है| भरत जिसके नाम पर आर्यावर्त का नाम भारत पढ़ा उसका पालन पोषण शकुन्तला ने अकेले ही किया लेकिन वीरता और संस्कारों की ऐसी घुट्टी पिलाई की आज भी भारत नाम विश्व के अंदर जाना और माना जाता है | गर्भवती सीता को जब वन में भेज दिया गया| उस समय भी उन्होंने हार नही मानी अपितु अपने गर्भ से जन्म लेने वाले पुत्रों का ऐसा पालन पोषण किया कि, वो राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को खेल ही खेल में न केवल पकड़ लाये अपितु उसके लिए संघर्ष करने आये सूरमाओं को भी उन्होंने छटी का दूध याद दिला दिया | शंकराचार्य ,विवेकानंद ,भगत सिंह आदि के जीवन में भी मां का विशेष प्रभाव रहा |
समाज निर्माण एवं परिवार निर्माण में नारी के योगदान के बिना सफलता सम्भव नहीं परन्तु उसकी प्रतिभा का लाभ हमे तब मिलेगा जबकि वो स्वयं समर्थ ,सुसंस्कृत हो । विकसित नारी अपने व्यक्तित्व को समृद्ध समुन्नत एवं समर्थ बनाकर राष्ट्रीय समृद्धि के संवर्धन में बड़ा योगदान दे सकती है| गार्गी,मदालसा, स्वयंप्रभा,भारती अनुसुइया ये सभी ऐसी महान विभूतियाँ हुई है | जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व की आहुतियाँ दी।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 834 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*आया पहुॅंचा चॉंद तक, भारत का विज्ञान (कुंडलिया)*
*आया पहुॅंचा चॉंद तक, भारत का विज्ञान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन उत्साह
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
* साथ जब बढ़ना हमें है *
* साथ जब बढ़ना हमें है *
surenderpal vaidya
"आशा" की चौपाइयां
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अपनी लेखनी नवापुरा के नाम ( कविता)
अपनी लेखनी नवापुरा के नाम ( कविता)
Praveen Sain
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
Buddha Prakash
वक़्त गुज़रे तो
वक़्त गुज़रे तो
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-249💐
💐प्रेम कौतुक-249💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
Neelam Sharma
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा।
चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा।
Manisha Manjari
"तू-तू मैं-मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
-- अंतिम यात्रा --
-- अंतिम यात्रा --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
खवाब
खवाब
Swami Ganganiya
हुस्न अगर बेवफा ना होता,
हुस्न अगर बेवफा ना होता,
Vishal babu (vishu)
दिल होता .ना दिल रोता
दिल होता .ना दिल रोता
Vishal Prajapati
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ लघुकथा...
■ लघुकथा...
*Author प्रणय प्रभात*
होली
होली
Kanchan Khanna
महिला दिवस
महिला दिवस
Surinder blackpen
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
gurudeenverma198
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
Ram Krishan Rastogi
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
Shweta Soni
संवेदनाओं में है नई गुनगुनाहट
संवेदनाओं में है नई गुनगुनाहट
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"ॐ नमः शिवाय"
Radhakishan R. Mundhra
Loading...