Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2017 · 3 min read

“दरिंदगी के बढ़ते कदम और हम”

“दरिंदगी के बढ़ते कदम और हम” आज दरिंदगी का चोला पहने इंसान इंसानियत का खून किए जा रहा है और पंगु बनी सरकार कड़ी निंदा का हथियार हाथ में लिए मौन धारण किए बैठी है। नक्सलियों का मास्टर माइंड पीएलजीए पहली बटालियन का मुखिया हिडमा हैवानियत का तांडव नृत्य कर रहा है और मूक दर्शक बनी सरकार वंस अगैन के इंतज़ार में पहली कतार में बैठी ताली बजा रही है। नक्सलियों के अगले दाव से अनभिज्ञ निर्दोष सीआरपीएफ के जवान आखिर कब तक अपना लहू बहा कर कुर्बानी देते रहेंगे ? देश की सुरक्षा करने वाला सैनिक ही जब सुरक्षित नहीं है तो इस आज़ाद देश का भविष्य क्या होगा? 11 मार्च को सुकमा में हुए नक्सलियों के घाती हमले में 12 जवान दरिंदगी का शिकार हो गए और सरकार हमलावरों की निंदा करके तारीफ़ लूटती रही। नतीज़ा क्या निकला…अप्रैल में एक और नक्सली हमला ? काश्मीर में पत्थर बरसाने का सिलसिला ज़ारी है। कब तक …? आखिर कब तक नेता राजनैतिक रोटियाँ सेकते रहेंगे और देश का रक्षक भक्षकों का निवाला बनता रहेगा? जब ये जवान हमारी खुशहाली के लिए ठंड से काँपते हुए सीमा पर पहरेदारी करते हैं तब हम रजाई, कंबल ओढ़े चैन की नींद सोते हैं।जब वो गर्म लू के थपेड़े खाकर सूरज की गर्मी में जलते हैं तब हम अपने घरों में आराम से एसीरूम में सोते हैं। जब वो अपने सीने पर गोलियाँ खाकर खून की होली खेलते हैं तब हम घरों में ईद, होली, दिवाली जैसे त्योहार मनाते हैं। सीमा पर हाई अलर्ट सुनते ही ये अपनी नई नवेली ब्याहता को फूलों की सेज पर इंतज़ार करते छोड़ आते हैं और आज जब वो हमेशा के लिए चिर निद्रा में सो गए तो उनके परिवार वालों को कुछ रुपया व सहानुभूति देकर आगे बढ़ जाना..क्या यही सरकार का कर्त्तव्य है ? कितनी सस्ती समझ ली है इन वीर सैनिकों की ज़िंदगी। कोई उससे पूछे जिस माँ की गोद सूनी हो गई, जिस पत्नी की माँग का सिंदूर धुल गया, जिस बहन के हाथ में राखी बिना बँधे रह गई। क्या उनके द्वार कभी कोई खुशी का दीप जल पाएगा ,क्या वो सुकून की नींद सो पाएँगे ???नहीं…ना। लेकिन अफ़सोस ये सरकार जवानों को खोकर सो रही है क्योंकि इन्होंने लाल नहीं खोया है ।कल फिर दूसरी गुदड़ी का लाल इन्हें आबाद रखने के लिए खुद सो जाएगा पर ये नहीं जागेंगे। सच जानिए,न्यूज़ देखने की हिम्मत नहीं होती है जब ये मंज़र सामने होता है।आँखें रोती हैं, कलेजा दहलता है, रातों की नींद क्या दिल का चैन, सुकून सब मिट जाता है।आज प्रदीप जी द्वारा लिखित और लता जी की आवाज़ में गाया ये गीत याद आता है—ऐ मेरे वतन के लोगों…. थी खून से लथपथ काया, फिर भी बंदूक उठा के, दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गँवा के,जब अंत समय आया तो, कह गए कि अब मरते हैं, खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं….
सीमा के प्रहरी कुर्बानी देते समय देश के सच्चे कर्णधारों के कंधों पर मातृभूमि का दायित्व सोंप कर विदा लेते हैं। वो भी जानते हैं ..सरकार सिर्फ़ निंदा , सहानुभूति और आगामी योजना बनाना जानती है ठोस कदम उठाना नहीं । अब अन्याय, अत्याचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाने का वक्त आ गया है ।..अब जागरुक नहीं हुए तो बहुत देर हो जाएगी।हम सबको एक-दूसरे की बुलंद आवाज़ बनना होगा, एकजुट होकर ऐसी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते हुए देश की सुदृढ़ इमारत की ईंट बनना होगा तभी मोदी जी जागेंगे, इस देश का हर इंसान जागेगा ,हर ईंट कहेगी –ये इमारत मुझसे बनी है। देशभक्ति की इस पहल में हमें मील का पत्थर बनना होगा।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
सहज है क्या _
सहज है क्या _
Aradhya Raj
सोच
सोच
Srishty Bansal
🌹 वधु बनके🌹
🌹 वधु बनके🌹
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
वो बदल रहे हैं।
वो बदल रहे हैं।
Taj Mohammad
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Manisha Manjari
सत्य तो सीधा है, सरल है
सत्य तो सीधा है, सरल है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
महबूबा
महबूबा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
Shweta Soni
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
गुप्तरत्न
"सच का टुकड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
अर्थपुराण
अर्थपुराण
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कमज़ोर सा एक लम्हा
कमज़ोर सा एक लम्हा
Surinder blackpen
हिदायत
हिदायत
Bodhisatva kastooriya
** सावन चला आया **
** सावन चला आया **
surenderpal vaidya
मकसद कि दोस्ती
मकसद कि दोस्ती
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
बेटियां
बेटियां
Ram Krishan Rastogi
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कवि रमेशराज
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कैसी
कैसी
manjula chauhan
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
यही समय है!
यही समय है!
Saransh Singh 'Priyam'
पत्रकारों को पत्रकार के ही भाषा में जवाब दिया जा सकता है । प
पत्रकारों को पत्रकार के ही भाषा में जवाब दिया जा सकता है । प
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
Shyam Pandey
सरहद
सरहद
लक्ष्मी सिंह
न किसी से कुछ कहूँ
न किसी से कुछ कहूँ
ruby kumari
शौक करने की उम्र मे
शौक करने की उम्र मे
KAJAL NAGAR
वो नन्दलाल का कन्हैया वृषभानु की किशोरी
वो नन्दलाल का कन्हैया वृषभानु की किशोरी
Mahesh Tiwari 'Ayan'
Loading...