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6 Feb 2017 · 1 min read

*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***

*******

तोड़ के घरोंदा उस जीव का
बेघर कर दिया ओ तूने
इक पथर जरा उछाल दे अपने
घर के शीशे पर ओ घरोंदा तोड़ने वाले !!

तू तो बनवा लेगा किसी और के हाथो से
धन को कमा लेगा फिर अपनी चालों से
उस का तो नहीं कोई भी बना के देने वाला
क्यूं उस को उजाड़ दिया पथर मारने वाले !!

वो कह नहीं सकता कि क्यूं उजड़ा दिया मुझको
मेरे परिवार ने क्या बिगाड़ा जो भगा दिया मुझको
मैंने तिनका तिनका इकठा कर के बनाया था
जरा एक बार तो सोचता मुझे बेघर करने वाले !!

रात का समां आ गया है, किस का ढूँढू में आसरा
मेरे मासूम से इन जीवों को शायद ही मिलेगा आसरा
बरसात का मौसम है, आंधी भी परेशां करेगी सबको
क्या कभी आंधी तूफ़ान में तूने घर बनाया है ओ मारने वाले ??

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
258 Views
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