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8 Oct 2016 · 1 min read

जुदाई तड़पा रही है

है सावन जुदाई भी तड़पा रही है,
ये बारिश भी बिजली सी चमका रही है

तेरे जब भी आते हैं आगोश में हम
ये दिल की तमन्ना बढ़ी जा रही है

है नीरवता फैली ज़मीं से गगन तक
ये स्मृति भी आग धधका रही है

तेरी याद की बदलियाँ छा गई हैं
मेरी लट ये काली खुली जा रही है

किसी ने है लूटा मुझे कह के अपना
तेरी मित्रता दिल को धडका रही है

चले क्यू नही आते हो पास मेरे
मधु चूड़ियाँ भी तो खनका रही है

Language: Hindi
73 Likes · 354 Views
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