Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2017 · 5 min read

***गुरु बिन ज्ञान नहीं***

**रोज की तरह अध्यापिका कक्षा में प्रवेश करती हैं सभी बच्चों को आई लव यू ऑल कहती हैं ।बच्चों को भी पता है कि अध्यापिका सभी से उतना प्यार नहीं करती और अध्यापिका को भी यह मालूम है कि वह सभी को समान रुप से प्यार नहीं करती फिर भी सभी बच्चे बहुत प्रसन्न होते हैं और अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं । अध्यापक मोहन को खड़ा करती हैं और उसके कार्य के बारे में पूछती हैं । मोहन आज भी अपना कार्य पूरा करके नहीं आया है । वह सिर झुका कर खड़ा रहता है और अध्यापिका की बात का जवाब नहीं देता अध्यापिका रोज़ की भांति उसे डाँटती हैं और भला बुरा कहकर बैठा देती हैं । अगले दिन फिर अध्यापिका कक्षा में आती हैं रोज़ की तरह बच्चों को आई लव यू ऑल कहती हैं पाठ शुरु करती हैं और मोहन से प्रश्न पूछती हैं वह आज भी कक्षा में सिर झुकाकर खड़ा है अध्यापिका के पूछे गए प्रश्न का उत्तर नहीं दे पा रहा है अध्यापिका आज भी उसे डाँटती हैं भला बुरा कहती हैं और यह कहकर कि तुम कुछ नहीं कर सकते,बैठा देती हैं ।

**अर्धवार्षिक परीक्षा का परिणाम कक्षा में सुनाया जाता है जिसमें मोहन जीरो प्राप्त करके फेल हो जाता है । अध्यापिका को बहुत गुस्सा आता है । वह मोहन की रिपोर्ट कार्ड लेकर प्रधानाचार्य जी के कक्ष में जाती हैं । प्रधानाचार्य जी से बात करती हैं । प्रधानाचार्य मोहन का पिछला रिकॉर्ड देखते हैं जिसमें मोहन प्रथम श्रेणी में दूसरी तीसरी और चौथी कक्षा उत्तीर्ण करता है लेकिन पाँचवी कक्षा में उसका यह रिजल्ट सबको चौका देता है अध्यापिका कारण जानने का प्रयास करती हैं पता चलता है कि मोहन की माँ कुछ महीने पहले गुजर चुकी हैं और माँ के गुजरने के बाद मोहन घर में बिल्कुल अकेला है उसको देखने वाला पढ़ाने वाला उसकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है पिता जी का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है इसलिए मोहन रोज बिना नहाए धोए, गंदे कपड़े पहनकर स्कूल आता है घर में कोई पढ़ाने वाला नहीं है इसलिए गृह कार्य भी नहीं करता उसकी माँ ही उसे पढ़ाती थीं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं ।

*माँ के गुजरने के बाद घर में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जो उसे पढ़ाए । अध्यापिका को सारी बात समझ आती है । अगले दिन जब अध्यापिका कक्षा में आती हैं रोज़ की तरह सभी बच्चों को आई लव यू ऑल कहती हैं अध्यापिका रोज़ की ही भांति मोहन को खड़ा करती हैं और प्रश्न पूछती हैं आज भी मोहन रोज़ की तरह सिर झुकाकर खड़ा हो जाता है और प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता मगर आज अध्यापिका उसे अपने पास बुलाती हैं और उसके कान में उत्तर बताती हैं और कहती हैं इसको यही खड़े-खड़े पाँच बार मन में याद करो मोहन वैसा ही करता है उसके बाद अध्यापिका उससे वही प्रश्न दोबारा पूछती हैं मोहन उसका उत्तर देने में सक्षम हो जाता है अब अध्यापिका रोज़ यही प्रक्रिया दोहराती हैं कक्षा में सबसे पहला प्रश्न मोहन से पूछती हैं और रोज की ही तरह उसे अपने पास बुलाकर उसके कान में उत्तर बताती हैं और उसे याद करने को कहती हैं फिर अध्यापिका दोबारा वही प्रश्न मोहन से पूछती हैं मोहन अब रोज़ उत्तर देने में सक्षम हो जाता है । मोहन का आत्मविश्वास बढ़ने लगा है अध्यापिका यही क्रिया बार-बार रोज करती हैं मोहन अब कक्षा में रोज आता है । उसके कपड़े साफ सुथरे और बालों में तेल लगा होता है । वह रोज़ नहा धोकर भी आता है और पढ़ाई में मन भी लगाता है । अध्यापिका का दिया गया कार्य घर जाकर पूर्ण करता है । मोहन में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है ।

*मोहन वार्षिक परीक्षा के लिए बहुत मेहनत करता है । अध्यापिका भी मोहन की हर परेशानी को हल करती हैं । मोहन की मेहनत रंग लाती है । वार्षिक परीक्षा का परिणाम बहुत ही उत्तम होता है । अध्यापिका का प्रयास सफल होता है और मोहन प्रथम श्रेणी में पास होकर अपनी अध्यापिका का नाम गर्व से ऊँचा कर देता है । मोहन का आत्मविश्वास बढ़ जाता है । दिन बीत जाते हैं साल बीत जाते हैं मोहन 12वी कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर लेता है ।

*अचानक एक दिन अध्यापिका को निमंत्रण पत्र मिलता है । अध्यापिका उस निमंत्रण पत्र को खोलती है उसमें एक हवाई टिकट होता है और निमंत्रण पत्र पर लिखा होता है डॉक्टर मोहन कुमार यादव अध्यापिका को अपना यह शिष्य याद आ जाता है और उनकी आँखों में आँसू छलक जाते हैं निमंत्रण पत्र पर माँ की जगह अध्यापिका का नाम लिखा होता है अध्यापिका का रोम-रोम खिल उठता है । अध्यापिका अपने पति से सारी बातें सांझा करती हैं और उनसे अनुमति लेती हैं । अपने साथी की अनुमति पाकर अध्यापिका मोहन की शादी में शामिल होने के लिए निकल जाती हैं मगर रास्ते में किसी कारणवश देर हो जाती है जिसके कारण वह शादी में देर से पहुँचती हैं । गेट पर सोचती हैं कि अब तो मोहन की शादी भी हो गई होगी मगर फिर भी वह हिम्मत करके अंदर प्रवेश करती हैं और देखती हैं कि सभी किसी का इंतजार कर रहे हैं और जब उन्हें पता चलता है कि किसी और का नहीं सिर्फ उन्हीं का इंतजार हो रहा हैं तो उनकी ममता आँखों से अश्रु के रूप में निकलने लगती है वह मोहन को गले लगा लेती हैं मोहन उनके चरण स्पर्श करता है उन्हें माँ के स्थान पर बैठता है । विवाह संपन्न होता है । अध्यापिका वर-वधू को आशीर्वाद देती हैं और उनकी खुशहाली की कामना करती हैं । मोहन अध्यापिका से कहता हैं कि मैं आप जैसी शिक्षिका पाकर धन्य हो गया आज आप ही की वजह से मैं मोहन से डॉक्टर मोहन कुमार यादव बन पाया ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए । गुरु नारियल की भांति होते हैं अंदर से नरम और बाहर से कठोर वह कठोरता इसीलिए दर्शाते हैं कि उनके विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें । हर शिक्षक अपने विद्यार्थी का भला ही चाहते हैं और उनको सफलता के उच्च शिखर पर ही देखना चाहते हैं।
******+++++++*******

Language: Hindi
366 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमे अब कहा फिक्र जमाने की है
हमे अब कहा फिक्र जमाने की है
पूर्वार्थ
वोटर की लाटरी (हास्य कुंडलिया)
वोटर की लाटरी (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
In the rainy season, get yourself drenched
In the rainy season, get yourself drenched
Dhriti Mishra
"तासीर"
Dr. Kishan tandon kranti
मुस्कुरा देने से खुशी नहीं होती, उम्र विदा देने से जिंदगी नह
मुस्कुरा देने से खुशी नहीं होती, उम्र विदा देने से जिंदगी नह
Slok maurya "umang"
कृष्ण भक्ति
कृष्ण भक्ति
लक्ष्मी सिंह
दिखाना ज़रूरी नहीं
दिखाना ज़रूरी नहीं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
* जिन्दगी की राह *
* जिन्दगी की राह *
surenderpal vaidya
सागर से अथाह और बेपनाह
सागर से अथाह और बेपनाह
VINOD CHAUHAN
■ कथनी-करनी एक...
■ कथनी-करनी एक...
*Author प्रणय प्रभात*
अब सच हार जाता है
अब सच हार जाता है
Dr fauzia Naseem shad
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
शेखर सिंह
लगाव
लगाव
Arvina
ऐसा क्यों होता है
ऐसा क्यों होता है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मैं घाट तू धारा…
मैं घाट तू धारा…
Rekha Drolia
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
Shashi kala vyas
Nothing is easier in life than
Nothing is easier in life than "easy words"
सिद्धार्थ गोरखपुरी
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
9) खबर है इनकार तेरा
9) खबर है इनकार तेरा
पूनम झा 'प्रथमा'
कहीं  पानी  ने  क़हर  ढाया......
कहीं पानी ने क़हर ढाया......
shabina. Naaz
गरीबी……..
गरीबी……..
Awadhesh Kumar Singh
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
कवि रमेशराज
आह जो लब से निकलती....
आह जो लब से निकलती....
अश्क चिरैयाकोटी
धरती का बस एक कोना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
Rani Singh
धुनी रमाई है तेरे नाम की
धुनी रमाई है तेरे नाम की
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
goutam shaw
💐अज्ञात के प्रति-154💐(प्रेम कौतुक-154)
💐अज्ञात के प्रति-154💐(प्रेम कौतुक-154)
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वही जो इश्क के अल्फाज़ ना समझ पाया
वही जो इश्क के अल्फाज़ ना समझ पाया
Shweta Soni
"सफर,रुकावटें,और हौसले"
Yogendra Chaturwedi
Loading...