Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2017 · 1 min read

किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-

सरकारी कारण लुटौ खूब कृषक कौ धान
रह गयौ बिना रुपैया, धान कौ हाय बुवैया |

दरवाजे पे कृषक के ठाडौ साहूकार
ब्याज के बदले भैया, खोलि लै जावै गैया |

करें खुदकुशी देश के अब तौ रोज किसान
न कोई धीर धरैया , कर्ज में डूबी नैया |

आलू-गेंहू सड़ गये बेमौसम बरसात
कृषक के दैया-दैया, उड़ि रहे प्राण-पपैया |

छीनौ भूमि किसान से, है सरकारी शोर
कृषक के दुःख पर भैया, सेठ की ताताथैया |
+रमेशराज

Language: Hindi
799 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किसी रोज मिलना बेमतलब
किसी रोज मिलना बेमतलब
Amit Pathak
पग बढ़ाते चलो
पग बढ़ाते चलो
surenderpal vaidya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बाबुल का घर तू छोड़ चली
बाबुल का घर तू छोड़ चली
gurudeenverma198
. inRaaton Ko Bhi Gajab Ka Pyar Ho Gaya Hai Mujhse
. inRaaton Ko Bhi Gajab Ka Pyar Ho Gaya Hai Mujhse
Ankita Patel
तेरी आवाज़ क्यूं नम हो गई
तेरी आवाज़ क्यूं नम हो गई
Surinder blackpen
अपने होने का
अपने होने का
Dr fauzia Naseem shad
हम यहाँ  इतने दूर हैं  मिलन कभी होता नहीं !
हम यहाँ इतने दूर हैं मिलन कभी होता नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
प्रियवर
प्रियवर
लक्ष्मी सिंह
नफ़रतों की बर्फ़ दिल में अब पिघलनी चाहिए।
नफ़रतों की बर्फ़ दिल में अब पिघलनी चाहिए।
सत्य कुमार प्रेमी
*हनुमान जी*
*हनुमान जी*
Shashi kala vyas
तन्हा
तन्हा
अमित मिश्र
रज के हमको रुलाया
रज के हमको रुलाया
Neelam Sharma
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा "ज़
*Author प्रणय प्रभात*
*हे!शारदे*
*हे!शारदे*
Dushyant Kumar
गंगा काशी सब हैं घरही में.
गंगा काशी सब हैं घरही में.
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
मैं तो महज बुनियाद हूँ
मैं तो महज बुनियाद हूँ
VINOD CHAUHAN
"यादों के अवशेष"
Dr. Kishan tandon kranti
सच
सच
Sanjay ' शून्य'
आपका अनुरोध स्वागत है। यहां एक कविता है जो आपके देश की हवा क
आपका अनुरोध स्वागत है। यहां एक कविता है जो आपके देश की हवा क
कार्तिक नितिन शर्मा
कोई चाहे कितने भी,
कोई चाहे कितने भी,
नेताम आर सी
'I love the town, where I grew..'
'I love the town, where I grew..'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
Neeraj Agarwal
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मुट्ठी भर आस
मुट्ठी भर आस
Kavita Chouhan
काले समय का सवेरा ।
काले समय का सवेरा ।
Nishant prakhar
घर के राजदुलारे युवा।
घर के राजदुलारे युवा।
Kuldeep mishra (KD)
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
सुबह-सुबह वोट मॉंगने वाले (हास्य-व्यंग्य)
सुबह-सुबह वोट मॉंगने वाले (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
Loading...