Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2016 · 1 min read

एक सामूहिक हत्या थी

भोपाल गैस त्रासदी पर कुछ बह निकले व्यथा के शब्द

इक सामूहिक हत्या थी

किसको था मालूम कि उस दिन रात वो ऐसी आएगी
एक रात की निद्रा वो , चिर-निद्रा में ढल जाएगी
पूंजीवाद का वो दानव यूँ , सबको निगल जाएगा
रातों-रात यूँ एक शहर की दुनियाँ बदल जाएगी

दुनियाँ भर के अखबारों ने लिखा कि बस दुर्घटना थी
मानवता के इतिहास में , बहुत बुरा एक सपना थी
लेकिन कब तक हरेक बात पर भाग्य पर रोना होगा
कोई माने या ना माने पर ये इक सामूहिक हत्या थी

घबराता हूँ सोच के ये , उस रात का मंज़र क्या होगा
जाने कैसा मौत का तांडव , घर घर के अन्दर होगा
हाहाकार की वो आवाज़े आज तलक भी आती हैं
उस रात आँसुओं का वो जाने एक समंदर क्या होगा

छोटे छोटे मासूमों का दोष था क्या बतलाओ तो
विधवा और अनाथों का , अपराध ज़रा समझाओ तो
उसपर उनके ज़ख्मों पर सब नमक छिड़कते आए हैं
सत्ता के ठेकेदारों तुम आकर मुँह , दिखलाओ तो

अन्यायों की पराकाष्ठा , इससे ज्यादा क्या होगी
हत्यारों और सरकारों की , और इन्तिहाँ क्या होगी
साल हुए बत्तीस अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है
अनंत दर्द और ज़ख्मो की यहाँ और दास्ताँ क्या होगी

सुन्दर सिंह
03.12.2016

Language: Hindi
500 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज कल रिश्ते भी प्राइवेट जॉब जैसे हो गये है अच्छा ऑफर मिलते
आज कल रिश्ते भी प्राइवेट जॉब जैसे हो गये है अच्छा ऑफर मिलते
Rituraj shivem verma
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
चलता ही रहा
चलता ही रहा
हिमांशु Kulshrestha
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
Neeraj Agarwal
जो कुछ भी है आज है,
जो कुछ भी है आज है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
💐प्रेम कौतुक-309💐
💐प्रेम कौतुक-309💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
काम पर जाती हुई स्त्रियाँ..
काम पर जाती हुई स्त्रियाँ..
Shweta Soni
सब कुछ हो जब पाने को,
सब कुछ हो जब पाने को,
manjula chauhan
राम नाम की धूम
राम नाम की धूम
surenderpal vaidya
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ले चल मुझे उस पार
ले चल मुझे उस पार
Satish Srijan
फिर से आंखों ने
फिर से आंखों ने
Dr fauzia Naseem shad
अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह
अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह
कवि रमेशराज
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
🙏😊🙏
🙏😊🙏
Neelam Sharma
सुबह की चाय है इश्क,
सुबह की चाय है इश्क,
Aniruddh Pandey
चंद्रयान ३
चंद्रयान ३
प्रदीप कुमार गुप्ता
माँ काली
माँ काली
Sidhartha Mishra
बहुत कुछ बोल सकता हु,
बहुत कुछ बोल सकता हु,
Awneesh kumar
मित्र बनाने से पहले आप भली भाँति जाँच और परख लें ! आपके विचा
मित्र बनाने से पहले आप भली भाँति जाँच और परख लें ! आपके विचा
DrLakshman Jha Parimal
दोहा
दोहा
sushil sarna
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
गर्व की बात
गर्व की बात
Er. Sanjay Shrivastava
शायरी
शायरी
goutam shaw
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
Harminder Kaur
वो हमसे पराये हो गये
वो हमसे पराये हो गये
Dr. Man Mohan Krishna
"चाणक्य"
*Author प्रणय प्रभात*
चलो...
चलो...
Srishty Bansal
Loading...