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12 Sep 2017 · 1 min read

उम्मीद के दिए को बुझाया न जाएगा

आज की हासिल
ग़ज़ल
******
मुझसे किसी के दिल को दुखाया न जाए गा ।
तहज़ीब को बड़ों की मिटाया न जाए गा

तूफान लाख ग़म के ही आ जाएँ जीस्त में
उम्मीद के दिये को बुझाया न जाए गा

आज़ाद रहना चाहते आज़ाद ही रहें
पंक्षी के पर कतर के उड़ाया न जाए गा

कब तक रहे क़फस में परिन्दा ये क़ल्ब का
ज़ज़्बात और दिल में दबाया न जाए गा

बीमार को जब तक न शिफ़ा कामिला मिले
तब तक दुआ से हाथ गिराया न जाए गा

आमाल जिन्दगी में सदा रखना तुम
वरना खुदा को मुँह ये दिखाया न जाए गा

“प्रीतम” नहीं मिले जो रज़ा तेरी ऐ खुदा
सिज़्दे से तेरे सिर ये उठाया न जाएगा

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
08/09/2017
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