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12 Apr 2017 · 1 min read

** अदालत-ए-इश्क **

मुवक्किल थे हम उनके
अदालत-ए-इश्क में
पैरवी कुछ इस तरह की
हम जीती हुई बाजी हारे ।।
?मधुप बैरागी
प्राणों का नहीं मोह मुझे
न मृत्यु का है भी
मृत्यु अंकशायिनी बनी
तभी तो है जीवन अपराधी ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 323 Views
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