Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 1 min read

गज़ल (कुदरत)

गज़ल (कुदरत)

क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है.
हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में ..

एक जमी बक्शी थी कुदरत ने हमको यारो लेकिन
हमने सब कुछ बाट दिया मेरे में और तेरे में

आज नजर आती मायूसी मानबता के चहेरे पर
अपराधी को सरण मिली है आज पुलिस के डेरे में

बीरो की क़ुरबानी का कुछ भी असर नहीं दीखता है
जिसे देखिये चला रहा है सारे तीर अँधेरे में

जीवन बदला भाषा बदली सब कुछ अपना बदल गया है
अनजानापन लगता है अब खुद के आज बसेरे में

गज़ल (कुदरत)
मदन मोहन सक्सेना

419 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"वो कलाकार"
Dr Meenu Poonia
दोहा त्रयी. . . शीत
दोहा त्रयी. . . शीत
sushil sarna
एक कप कड़क चाय.....
एक कप कड़क चाय.....
Santosh Soni
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नारी का क्रोध
नारी का क्रोध
लक्ष्मी सिंह
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
शेखर सिंह
"यात्रा संस्मरण"
Dr. Kishan tandon kranti
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
Anil Mishra Prahari
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
Priya princess panwar
मेरा तोता
मेरा तोता
Kanchan Khanna
Lines of day
Lines of day
Sampada
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हिन्दी के हित प्यार
हिन्दी के हित प्यार
surenderpal vaidya
बात तनिक ह हउवा जादा
बात तनिक ह हउवा जादा
Sarfaraz Ahmed Aasee
समय
समय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हम घर रूपी किताब की वह जिल्द है,
हम घर रूपी किताब की वह जिल्द है,
Umender kumar
It is that time in one's life,
It is that time in one's life,
पूर्वार्थ
भगतसिंह का आख़िरी खत
भगतसिंह का आख़िरी खत
Shekhar Chandra Mitra
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
*पिता (सात दोहे )*
*पिता (सात दोहे )*
Ravi Prakash
एक तरफ तो तुम
एक तरफ तो तुम
Dr Manju Saini
2964.*पूर्णिका*
2964.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चुनावी मौसम
चुनावी मौसम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
*Author प्रणय प्रभात*
सूझ बूझ
सूझ बूझ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-442💐
💐प्रेम कौतुक-442💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
Dr Tabassum Jahan
*बिरहा की रात*
*बिरहा की रात*
Pushpraj Anant
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...