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10 Oct 2017 · 1 min read

काश हम सदा रहते बच्चा

वो बीता कल कहां गया
ओ बचपन तू लौट के आ
मुझ को उन यादों में बुला।

खेलकूद के कदम घर में रखना
माँ की गोदी में सिर रखना।
माँ का सिर पर हाथ फेरना
अंखियों को निंदिया का घेरना।

सब कुछ ही कितना सुखमय था।
न कोई चिंता न ही भय था।
वो बीता कल कहां गया
ओ बचपन तू लौट के आ
मुझ को उन यादों में बुला।

सैर पे पापा के संग जाना
उछल कूद रस्ते में मचाना
कूदना गिरना चोट लगाना
पापा से पुचकारे जाना

वो सब कुछ था कितना अच्छा
काश हम सदा रहते बच्चा
वो बीता कल कहां गया
ओ बचपन तू लौट के आ
मुझ को उन यादों में बुला।

—-रंजना माथुर दिनांक 10/10/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
384 Views
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