ठहरना मुझको आता नहीं, बहाव साथ ले जाता नहीं।
Tumhara Saath chaiye ? Zindagi Bhar
देवताई विश्वास अंधविश्वास पर एक चिंतन / मुसाफ़िर बैठा
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
जयचंदों का देश में,फलता नही रिवाज.
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
ताल -तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान
जिसे हमने चाहा उसने चाहा किसी और को,
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
singh kunwar sarvendra vikram
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा