शून्य हूँ स्वतंत्र हूँ, अर्थहीन अर्थ हूँ, यत्र-तत्र ही नहीं, हृदयांश हूँ सर्वत्र हूँ।
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Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" has not yet published any book on Sahityapedia.
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