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28 Jul 2020 · 1 min read

ए ज़िंदगी : तू मेरी प्रिय सहेली

मेरे ही तीर तू मेरे दिल पर चलाती है।
मेरे ही दिये नुस्ख़े तू मुझपर आज़माती है।

कभी-कभी बन अज़नबी-सी तू मुझसे ख़फा हो जाती है।
जब मेरे दामन में दुःख आये तो गमज़दा तू भी हो जाती है।

सदा हर राह में सखि बन तू मेरे सोहबत में चलती है।
मेरे संग क्रोध की ज्वाला में पल-पल तू भी जलती है।

मेरी आदतों की तरह तू मुझसे कभी छुटती नहीं।
लाख शरारते भी करती है पर कभी तू रूठती नहीं।

मैं हूँ तेरी अक़्स अगर तो तू है मेरी आईना ।
मैं हूँ तेरी अश्क अगर तो तू है मेरी नैना।

हम दोनों की अतरंगी जोड़ी का क्या कहना?
तू ही तो है मेरी आभूषण और है मेरा गहना।

तू मेरे संग बस यूँ ही चलते रहना।
ए ज़िन्दगी! मेरी हर धड़कन-सी बन कर रहना।
-रेखा “मंजुलाहृदय”

Language: Hindi
8 Likes · 11 Comments · 423 Views
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