Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2024 · 1 min read

Today’s Thought

Today’s Thought

➖➖➖➖➖➖➖✔
‘काल या समय का वैज्ञानिक और दार्शनिक दोनों दृष्टियों से महत्व है। समय अदृष्य तो है ही, इसकी प्रकृति को समझना भी दुष्कर है।
➖➖➖➖➖➖➖✔

284 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

क्रांतिकारी, वीर, सेनानियो, कवियों का प्रांगण कहो।
क्रांतिकारी, वीर, सेनानियो, कवियों का प्रांगण कहो।
Rj Anand Prajapati
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
DrLakshman Jha Parimal
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
Shweta Soni
4680.*पूर्णिका*
4680.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
मन के मीत
मन के मीत
Ramswaroop Dinkar
सहधर्मिणी
सहधर्मिणी
Bodhisatva kastooriya
संकट..
संकट..
Sushmita Singh
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
manjula chauhan
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
Dheeru bhai berang
उम्र के पन्नों पर....
उम्र के पन्नों पर....
sushil sarna
अन्याय होता है तो
अन्याय होता है तो
Sonam Puneet Dubey
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
रुपेश कुमार
तुम्हें दिल में बसाया है धड़कन की तरह,
तुम्हें दिल में बसाया है धड़कन की तरह,
Jyoti Roshni
शादी के बाद अक्सर कुछ रिश्तों में दूरी आ जाती है ।
शादी के बाद अक्सर कुछ रिश्तों में दूरी आ जाती है ।
Rekha khichi
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
Time
Time
Aisha Mohan
झरोखा
झरोखा
Sandeep Pande
समरथ को नही दोष गोसाई
समरथ को नही दोष गोसाई
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"दुःख से आँसू"
Dr. Kishan tandon kranti
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
sushil yadav
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Don't Be Judgemental...!!
Don't Be Judgemental...!!
Ravi Betulwala
सच तो फूल होते हैं।
सच तो फूल होते हैं।
Neeraj Agarwal
ज़रा सा इश्क
ज़रा सा इश्क
हिमांशु Kulshrestha
डॉ भीमराव अम्बेडकर
डॉ भीमराव अम्बेडकर
नूरफातिमा खातून नूरी
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
Ajit Kumar "Karn"
*होते यदि सीमेंट के, बोरे पीपा तेल (कुंडलिया)*
*होते यदि सीमेंट के, बोरे पीपा तेल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी के सवाल का
ज़िंदगी के सवाल का
Dr fauzia Naseem shad
कद्र और कीमत देना मां बाप के संघर्ष हो,
कद्र और कीमत देना मां बाप के संघर्ष हो,
पूर्वार्थ
Loading...