@The electant mother
बचपन में सब की पिटाई बेलन कर्छी थप्पड़ चप्पल बाईपर आदि से होती थी लेकिन मेरी मां की Pasand इनसे कहीं अलग की बे हथियार बड़े तगड़े थे जैसे लोहा पानी पाइप लाइन की राड फुकनी झाड़ू बांस का डंडा इन तीनों में झाड़ू और बांस की लाठी कॉमन थी जो मां का पारिवारिक गुस्सा मेरे पर इन अस्त्रों का प्रहार करके उतरता था और जब तक मारती थी कि जब तक अस्त्र मारते मारते टूट ना जाए ए उसकी गलती नहीं थी उनके माता-पिता की गलती थी जो अच्छी शिक्षा ना दिला पाए या दूसरे कारण हो सकते हैं जितना सीखा उसने इस non authentic रूढ़िवादी समाज के द्वारा बनाए नियमों से सीखा जिसमें उसने किसी को अपना माना तो किसी ने उसे धोखा तथा छलावा के अलावा कुछ नहीं दीया और यह सब उसके साथ बहुत बरसो तक चला और अब इस सब होने के बाद अपने में व्यस्त रहने लगी है और कभी-कभी अपनी बूढ़ी सास सेकॉमन सासों की तरह लड़ जाती है इससे दोनों का मन ठंडा हो जाता है और जब दादी और मेरी मां की लड़ाई अधूरी रह जाती है तो सिचुएशन में जब मेरी पिटाई करती थी तो उसे ख्याल नहीं रहता था कि इसकी सांस रुक गई है या शरीर पर अंदरूनी चोटें आई हैं और कई बार तो सांस का बंद सा हो जाना फिर बाहर वाले आते थे और अपने तरीके से समझा बुझा कर चले जाते थे इसके बाद मेरी मां मेरे को गोद में उठाती और खुद रोने लगती मैं कभी-कभी कंफ्यूज होता की ए मां मुझे इतना मारती क्यों है लेकिन मुझे भी कुछ कुछ समझ आने लगा था बाहरी लड़ाई भी कभी-कभी बच्चों पर भारी पड़ जाती है लेकिन मेरी मां को लगता था कि बच्चों में अक्ल सिर्फ झाड़ू की मार से ही आती है इसीलिए जो भी शिकायत लेकर आता था वह भी कुछ हद तक डरने लगा था और लोग फिर घुमा फिरा कर बात टालमटोल कर के बात करते थे की शिकायत भी हो जाए और मार भी ना पड़े क्योंकि शिकायती पहले अपने घर पहुंचता कि इस से पहले हमारी धुलाई शुरू हो जाती थी यही मेरी मां का एलेक टेंट मदर title dena अपने आप में गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं और करता रहूंगा ऐसी मां और उसके बच्चे इस पृथ्वी पर कभी नहीं आ सकते और आप ही गए तो ए सहयोग कभी नहीं मिल सकता कि वही बच्चे हो और वही मां हो so thanks