श्री शूलपाणि
मद चंद कंठ भुजंग शोभित, तन भस्म देखते डोलत धरा। मृगछाल धार कालों के काल, शोभित कर शूल निकलें जटा से सुरसुरि धरा।। नर,नाग, किन्नर,सुर-असुर, गंधर्व, ऋषि, मुनि देखैं दिगम्बरा।...
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