Posts Tag: Aaskapanchhi 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Padmaja Raghav Science 26 May 2024 · 1 min read बिसरे पन्ने और हम बिसरे पन्ने और हम भूले बिसरे पन्ने से अचानक से किसी का झाँकना, यादों के बादल में घिर किसी का तारे सा टिम टीमाना, काश कुछ यूँ सहर हो और... Poetry Writing Challenge-3 · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 2 156 Share Padmaja Raghav Science 26 May 2024 · 1 min read काहू संग न प्रीत भली तुम संग जितना भागी तुमने उतना ही दूर किया, दिल मेरा मोम का था पत्थर बना चकनाचूर किया… जितना मोह रहा तुमसे उतना तुम बने निर्मोही, प्रीत की राह काँटों... Poetry Writing Challenge-3 · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 2 2 63 Share Padmaja Raghav Science 26 May 2024 · 1 min read बदलाव जरूरी है बदलाव जरूरी है जब हमारी छोटे से बड़ा होना लाज़मी है तो बदलाव जरूरी है, वक़्त के साथ जब बदले हालात तो हमारा भी बदलना जरूरी है, जब उसका मेरे... Poetry Writing Challenge-3 · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 1 78 Share Padmaja Raghav Science 26 May 2024 · 1 min read आनलाइन कथा आनलाइन कथा कुछ लोग बाँचते है ऑनलाइन कथा जिसमे होती है खुद को साबित करने की कोशिशें, उनको कोशिशें बोलती नहीं चिल्लाता हैं तभी तो सबको भाती है, तुम खुद... Poetry Writing Challenge-3 · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 111 Share Padmaja Raghav Science 26 May 2024 · 1 min read पाती पाती वो आँखों से झरती है जब कह नही पाती मन की पाती, गालों पर लुढ़कती रह जाती है मन की पाती, तुम सुन नहीं पाते वो कह नहीं पाती,... Poetry Writing Challenge-3 · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 80 Share Padmaja Raghav Science 26 May 2024 · 1 min read विस्तार स्वप्न का विस्तार स्वप्न का स्वप्न बाहें फैला झूमता है हर गली गली घूमता है बहते हर पंख को वो चूमता है विस्तृत हो स्वप्न धरती गगन नापता है बादलों में अपना... Hindi · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 59 Share Padmaja Raghav Science 25 May 2024 · 1 min read कुछ बेनाम कविताएं रहने दो उन्हे बेनाम कविताएं झाड़ों के झुरमुट में लिपटी लताएं, सुलझाने की कोशिश न करना क्यों रहने दो उलझी हम बताएं, वो उलझी ही सुंदर हैं एहसासों से सराबोर... Hindi · Aaskapanchhi · Kavitayein · Padmajarathoreraghav 2 1 108 Share Padmaja Raghav Science 25 May 2024 · 1 min read मुकाम तक जाती हुईं कुछ ख्वाइशें मुकाम तक जाती हुईं कुछ ख्वाइशें मुकाम तक जाती हुई कुछ ख्वाइशें रूबरूँ होती है, हक़ीक़त से थपेड़े खा ज़माने के धूल में लिपटी हुई जब पहुँचती है , मुकाम... Poetry Writing Challenge-3 · Aaskapanchhi · Padmajarathoreraghav 3 1 106 Share