Posts Tag: Aagaz 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Vivek saswat Shukla 12 Dec 2024 · 1 min read आगाज़ है धुआं सा कुछ यहां, चिरागों को जलाते हैं। बदल दे कर लकीरों को, कर खिलाफत जमाने से,, पकड़ ले बुलंदी की डोर हाथों में, पर कागजों के लगा के... Aagaz · Hindisahitya · Poetviveksaswat · Viveksaswat · Viveksaswatshukla 18 Share