मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
सफर तन्हाईयों का, बेइंतिहां सुकूं देता है मुझे, कदम अपने मेरे साथ, तुम बढ़ाया ना करो। बेहोश जज़्बातों में घुलकर, साँसें चलती हैं मेरी, होश की छींटों से मेरे एहसास,...
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