*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक्तक)* _________________________ कितने ही पापड़ बेले तब, मानपत्र साभार मिला जब छीना अधिकार समझकर, तब फूलों का हार मिला...
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