हम क्यूं लिखें
हम क्यूँ लिखे अपनी मजबूरियां, क्यूँ लिखें कि वो ध्यान नहीं रखता मेरे वजूद का हम क्यूँ लिखें कि हम मोहताज हैं, उसके और वो समझता नहीं मुझे, कुछ भी...
Poetry Writing Challenge-3 · कविता · महिला दिवस · महिला सशक्तिकरण · सामाजिक विसंगतियां · स्त्री विमर्श