Posts Tag: व्यँग 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam Sundar Subramanian 11 Sep 2024 · 1 min read राजनीति के फंडे राजनीति के फंडे भी बड़े अजीब हैं , सत्ता की होड़ में नेता एक दूसरे की टांग खींचते रहते हैं , अपना कद दूसरे के कद से बड़ा करने की... Hindi · कविता · व्यँग 119 Share Dr Mukesh 'Aseemit' 5 Jun 2024 · 7 min read नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन एयर कंडीशंड हॉल में चक्के वाली गद्देदार कुर्सी पर अपनी मोटी तोंद को धंसाते हुए वन विभाग के आला अधिकारी मनसुख लाल बैठे हुए थे .वक्त काटने के लिए सूरज... Hindi · नेताजी · पर्यावरण · व्यँग 130 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Feb 2024 · 1 min read श्वान संवाद एक गली के कुत्ते में दूसरे कुत्ते से कहा , हम तो भौंकते हैं खतरे से आगाह करने के लिए , गली में घुसने वाले चोरों को भगाने के लिए... Hindi · कविता · व्यँग 287 Share निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर' 14 Jun 2023 · 1 min read ****🙏🏻आह्वान🙏🏻**** ****** आह्वान ******* क्यों मौन खड़े हे कर्णधार! क्यों पाप पनपने देते हो। हे पार्थ ! उठो थामो तूणीर, क्यों आग भड़कने देते हो॥ सत्ता सिंहासन की खातिर, न भीष्म... Poetry Writing Challenge · कविता · व्यँग 235 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Jun 2023 · 1 min read पत्थरवीर उस दिन मैंने कुछ लड़कों को पत्थर बीन -बीनकर इकट्ठे करते हुए देखा , मैंने उनसे पूछा , तुम लोग पत्थर इकट्ठाकर क्यों नाहक अपना समय बर्बाद कर रहे हो... Hindi · कविता · व्यँग 1 221 Share निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर' 12 Jun 2023 · 1 min read रक्षक या भक्षक चिंतन को बैठा चिंता में, कैसे सुधरे देश हमारो। रक्षक ही भक्षक बन बैठे, कुर्सी थामें कर मुंह कारो। चपरासी से लेकर अफसर, घूस मंगाते पाकर अवसर। सर्विस चाने लाओ... Hindi · कविता · व्यँग 1 546 Share Anjana banda 11 Jun 2023 · 1 min read चुनाव पापा आपको कुछ बताना है, मैम ने कहा चुनाव में बस नहीं , इसलिए 2 दिन स्कूल नही आना है। कभी चुनाव के लिए बस नहीं कभी चुनाव हमारे बस... Poetry Writing Challenge · चुनाव · व्यँग 221 Share Anjana banda 11 Jun 2023 · 1 min read बुलंद भारत मेरा भारत आज कैसा बुलंद बन रहा है , भान नहीं यद्यपि अर्थ का, पर स्वच्छंद बन रहा है । न्याय की चौखट पर ही मृत्युदंड देकर, खुद की ही... Poetry Writing Challenge · जीवा · न्याय की चौखट पर सजा · व्यँग 371 Share एकांत 17 Dec 2022 · 1 min read रिश्तों का महल परायों से क्या शिकायत करूं दिल तो अपनों से घबराता है । रिस्तों की चादर पर ना जाने कब नमक चढ़ जाता है ।। शिकायते करते रहते हम कि उन्हें... Hindi · व्यँग 1 158 Share मृत्युंजय कुमार 4 Sep 2022 · 1 min read दुल्हों का बाजार आज दुल्हे बिकने लगे हैं दूल्हों के बाजार में ऑनलाइन व ऑफ़्लाइन दूल्हों के बाजार में सजधज के आज खड़े हैं दूल्हों के बाजार में लग रही है आज बोली... Hindi · कविता · व्यँग · व्यंग्य कविता 5 2 361 Share