अंतिम पड़ाव
हो बचपन-यौवन या समृद्ध-वृद्ध, सब समय के चक्र का हिस्सा है। ये पर्वत घाटी या हरी-भरी थाती, सब पृथ्वी के वक्र का किस्सा है। शरद चाॅंदनी में वृक्षों से हर...
Poetry Writing Challenge-2 · तुकांत कविता · मनुष्य का जीवन चक्र · वृद्धावस्था के मनोभाव · वृद्धि का क्रम · व्यक्तिगत प्रसंग