श्री शूलपाणि
मद चंद कंठ भुजंग शोभित, तन भस्म देखते डोलत धरा। मृगछाल धार कालों के काल, शोभित कर शूल निकलें जटा से सुरसुरि धरा।। नर,नाग, किन्नर,सुर-असुर, गंधर्व, ऋषि, मुनि देखैं दिगम्बरा।...
Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · विवेक शाश्वत · विवेक शाश्वत शुक्ल · हिंदी-साहित्य