गूॅंज
जो गौर किया तब यही पाया, ये प्रकृति निष्पक्ष व्यवहार करती है। नीति-रीति या प्रीति-प्रतीति, ये सभी प्रकृति की हुंकार से डरती हैं। कर्म, धर्म और मर्म सबको, निश्चित क्रमानुसार...
Poetry Writing Challenge-3 · कविता · तुकांत कविता · मानवता · वसुधैव कुटुंबकम् · वैश्विक सम्बन्ध