साकार नहीं होता है
हर साधक की इच्छाओं को, ससमय समुचित बल दिया है तुमने। इस कल्पना के प्रतिबिंब को, यों स्वरूप ही सकल दिया है तुमने। बिन इनके स्वप्न और इच्छा में, कोई...
Poetry Writing Challenge-3 · कविता · जय मां शारदे · तुकांत कविता · रचनाधर्म · साहित्यकर्म