मोबाइल
प्रदूषण से घिरे इस परिवेश में, कोई प्रकृति का इशारा नहीं बनता। स्वार्थ को आतुर इस दुनिया में, कोई बेबस का सहारा नहीं बनता। आज निराशा का काला बादल, सबकी...
Poetry Writing Challenge-2 · 21वीं सदी · आधुनिक यंत्र · तकनीकी हस्तक्षेप · तुकांत कविता · मोबाइल का प्रभाव