Posts Tag: मुक्तछंद 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid श्रीकृष्ण शुक्ल 6 Jul 2024 · 1 min read मुफ्तखोर मुफ्त में मिल रहा है सब, यही तो मुश्किल है। तुमने स्वयं ही इनको निकम्मा कर दिया। माना अब रोटियां मुफ्त में मिलती हैं, किंतु ऑंखें सपने देखना बंद कब... Hindi · कविता · मुक्तछंद 58 Share