चली ⛈️सावन की डोर➰
बादल गरजा, मिजाज, मौसम का बदला, बदलाव दिखे हर ओर, चली सावन की डोर। दादूर-टर्टराहट, बगुले बहुतायत, आस-पास, जलाशय-किनारे का शोर, सरर •••• समीर, कुसुमरस घोल, चली सावन की डोर।...
Poetry Writing Challenge-2 · Badal Par Kavita · कविता · नये साल की पहली बारिश · मन का मौसम · सुन-ओ-बारिश