यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
शायद! धरा पर , धरा गया कुलिश-कुशासन का भार| संस्कारों से झरता नार ,सुचालक कुविचारों का तार।। रोग निगले आदमी को, मिलकर जल - वायु का साथ| कितना लम्बा हो...
Poetry Writing Challenge-2 · परिवर्तन में दुख · फिर मानवता · संसार · सुख दुख · स्वार्थ