कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं, धड़कने भी मना करने लगी,रहने सीने में,// तिश्नगी मिटी ही नहीं कभी मेरे लवों से, दर्द का दरिया भी सूखने लगा इतना पीने...
Poetry Writing Challenge · कविता · ग़ज़ल/गीतिका · दर्द · प्यास · हिन्दी कविता