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1 Feb 2025 · 1 min read

महाकुंभ : भीड़ का दर्द

गलियों से इक भीड़ बुलायी गई थी
हर वो जख्मी बात छिपायी गई थी
आये थे लाखों परींदे उड़ यहाँ
हर घर की इक चीख दबायी गई थी

कुछ आंसू की खबर सुनायी गई थी
कदम कदम हर रील चलायी गई थी
सत्ता के सस्ते आस्तीनों तुमने
मौत को मोक्ष वजह बतायी गई थी

@जितेन्द्र कुमार “सरकार”

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