कैसे तय करें, उसके त्याग की परिपाटी, जो हाथों की लक़ीरें तक बाँट चली।
कैसे तय करें, उसके त्याग की परिपाटी, जो हाथों की लक़ीरें तक बाँट चली। सपने तो उन आँखों में कभी आ ना सके, वो तो अपनी नींद भी, किसी की...
Hindi · Daily Writing Challenge · Manisha Manjari · कविता · त्याग · मनीषा मंजरी