Posts Tag: गरीबी 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Pradeep Kumar Sharma 3 Mar 2018 · 2 min read कफन लघुकथा कफन ""'''''''''' पिछले दो दिन से पत्नी की तबीयत ठीक नहीं थी। घर में खाने के लाले पड़े थे। ऐसी मुफलिसी में दवा-दारू कैसे करे ? परंतु पत्नी को... Hindi · कफन · गरीबी · लघुकथा · लाचारी 660 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 3 Mar 2018 · 1 min read बच्चा सिर्फ बच्चा होता है लघुकथा -------- बच्चा सिर्फ बच्चा होता है ---------------- मालती आज अपने आठ वर्षीय पोते को लेकर मालिक के घर झाड़ू-पोंछा करने आई थी। बच्चा वहाँ पहुंचते ही ड्राईंग रूम के... Hindi · गरीबी · बराबरी · लघुकथा 1 319 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 30 Jul 2023 · 1 min read अपनी-अपनी दिवाली अपनी-अपनी दिवाली धनतेरस का दिन था। सब ओर खुशी का माहौल था। बच्चों ने पटाखे चलाने शुरु कर दिए थे। लोग तथाकथित छूट का भरपूर लाभ उठाते हुए नए कपड़े,... Hindi · गरीबी · मजबूरी · लघुकथा 150 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 5 Aug 2023 · 2 min read संस्कृति के रक्षक संस्कृति के रक्षक "देखो, ये पैसे की धौंस कहीं और दिखाना। साफ-साफ बताओ...किस कलमुंही के पास गए थे मुंह..? इतने पैसे और ये नई ड्रेस ...? कहां से मिले तुम्हें... Hindi · गरीबी · रक्षा · राजनीति · लघुकथा · संस्कृति 96 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 4 Aug 2023 · 1 min read चुनाव का मौसम चुनाव का मौसम कहाँ तो उन्हें पहले भरपेट खाने को नहीं मिलता था और अगर मिलता भी, तो तब, जब वे भूख से अधमरे हो चुके होते। मां और बापू... Hindi · गरीबी · चुनाव · राजनीति · लघुकथा · लेन-देन 1 89 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 24 Sep 2023 · 1 min read गरीब हैं लापरवाह नहीं गरीब हैं लापरवाह नहीं हम लोग गरीब हैं पर नहीं लापरवाह अपनी ही नहीं हमें सबकी है परवाह। भरपेट खाना नहीं पूरे कपड़े भी नहीं। कम है इस बात का... Hindi · कविता · गरीबी · जागरुकता · लापरवाही 1 117 Share Mukesh Kumar Sonkar 18 Feb 2024 · 1 min read गरीबी और लाचारी "गरीबी और लाचारी" गरीबी और तंगहाली के कैसे कैसे रंग हैं, कोई मर रहा भुखमरी में तो कोई पैसों से तंग है। मजबूरियां गरीब बच्चे को भी जिम्मेदार बनाती हैं,... Poetry Writing Challenge-2 · असमानता · कविता · गरीबी · गरीबी और लाचारी · सामाजिक कुरीति 1 64 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read रोटी की क़ीमत! दिन भर तपता रहा धूप में, रात बिताई बारूद में झुलसकर, फिर भी नसीब ना हुई जिसे, दो वक्त की रोटी और नमक, उस से पूछो रोटी की क़ीमत, जिसने... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · गरीबी · रूपक · रोटी की क़ीमत 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read बेबसी! अज़ीब बेबसी है सब लाचार, चुप चाप वक्त भी हाथों से बह गया है दुआओं में असर ज़रा कम है सूर्ख आँखें भी आज नम है बेबसी का अजब आलम... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · गरीबी · बेबसी 12 Share