sp97 हम अपनी दुनिया में
sp97 हम अपनी दुनिया में
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हम अपनी दुनिया में अजनबी से भटक रहे खुद की तलाश में
ढूंढ रहे चांद की चांदनी को अहम के सूरज के उजास में
नहीं दिखेगा सितारा कोई ध्रुव तारा भी कहीं छुपा है
हार नहीं मानता है मानव लगा हुआ है इस प्रयास में
किस छिपाए किसे बताएं हर पीड़ा की अजब कहानी
पावन ग्रन्थो की हम रहल हैं रखे गए हैं इस प्रवास में
सब की कीमत अलग-अलग है बदला है बाजार समय का
हम जैसे नादान कई हैं लगे हुए अपने प्रयास में
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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