sp147मैं माता सरस्वती का पुत्र
sp147मैं माता सरस्वती का
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मैं माता सरस्वती का पुत्र इस काव्य जगत का दीपक हूं
कुटिया हो या हो कोई महल जलकर मैं उजाला करता हूं
जहां न पहुंचा रवि आज तक वहां पहुंच जाता है कवि
अपने प्रकाश से अंधकार हटाकर रोशनी उछाला करता हूं
जिनको कविता अच्छी लगती उनको मैं भी अच्छा लगता
गीत गजल अध्यात्म ओज और हास्य व्यंग सच्चा लगता
चल रहा 76 वर्ष मेरा 65 वर्ष की काव्यात्रा है
ना कुछ पाने की चाह मुझे ना खोने का डर लगता है
आपके साथ भी कवि होंगे जिनका पद गरिमा मय होगा
वह अगर जुड़ेंगे मुझसे भी जीवन भी मंगलमय होगा
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
सेवानिवृत्ति वरिष्ठ प्रबंधक
HAL लखनऊ मंडलsp, 147