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13 Nov 2024 · 1 min read

sp146 काव्य जगत के

sp146 काव्य जगत के
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काव्य जगत के नभ मंडल में रोज बड़े सम्मान हो रहे
कई सितारे जगमगा रहे जुगनू की कहां बिसात कहीं

गर किस्मत में लिक्खा सूखा तालाब कहे किससे पीड़ा
सब ताल तलैया भी प्यासे होती है वहां बरसात नहीं

जलजला दिखाता है तेवर कहता है यह तो झांकी है
अपना जलवा दिखलाने को तूफान भी आना बाकी है

कब आना है कब आएगा होते इसके दिन रात नहीं
मानव की नहीं औकात कोई दे सकता इसको मात नहीं

जिसकी मर्जी से खेला है वह कोई नहीं गलती करता
अंगुली उठाये उस पर दुनिया ऐसी वह चाल नहीं चलता

एक तरफ खेल इसे कहते हैं होती है कोई शह मात नहीं
मुंह उठा के सूरज पर थूके मानव की यह औकात नहीं
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तवsp146

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