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9 Nov 2024 · 1 min read

sp123 जहां कहीं भी

sp123 जहां कहीं भी
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जहां कहीं भी आप गए हो पहुंचेगा आशीर्वचन
प्रार्थना में होती बड़ी शक्ति है पुलकित होता है अंतर्मन

माना कभी ना मिल पाए हम लेकिन हुई भावना जागृत
सौम्य सरल चेहरा है चित्र में दिव्य लेखनी का है वंदन
@
जितना जरूरी बोलना उतना ही बोलिये
उससे जरूरी जादा है शब्दों को तोलिये

इक चाल हरेक खेल में बाजी न पलट दे
जब हो बहुत जरूरी तो पत्तो को खोलिये
@
पीर लगे जब अपने देने मत गैरों से गिला करें
जिससे मिलने पर राहत हो सिर्फ उसी से मिला करें
@
माया के प्रवाह में बहती सुख सुविधाए सब मिल जाती
बस इक चीज नहीं मिलती है बीता समय उसे कहते हैैं

@
सत्य अकेला रह गया भीड़ तंत्र के साथ
मैत्री करुणा भूल कर लोग मंत्र के साथ
@
कुछ दिये पराजित कर तम को कुटिया में दिवाली करते हैं
पर ऐसे भी दीपक हैं कई सत्ता की दलाली करते हैं
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
sp123

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