sp121 ढोलक
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ढोलक झांझ मजीरा बाजे हॉरमोनियम सप्त सुरों में साजे
पाठ अखंड रामायण का चल रहा सुर नर मुनि हैं यहां विराजे
राम नाम को मरा पढ़ा था सद्गति पाई संत बन गए
साथ राम का कितना पावन रथ वाहक भी सुमंत बन गए
जीवन का आधार राम है सागर के उस पार राम है
जीवन के पल-पल में देखो यहां राम है वहां राम है
द्रोह आराम से करने वाला स्वयं रसातल को जाता है
फ़ंस जाता है बीच भंवर में करनी पर खुद पछताता हैं
राम कथा को पढ़ना सुनना बडभागी पाता है मौका
जीवन सागर बहुत है गहरा होती पार है उसकी नौका
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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