sp109 खेल खेले जा रहे हैं
sp109 खेल खेले जा रहे हैं
*********
खेल खेलें जा रहे हैं जान कर अपनी नियति
जय पराजय तय मिलेगी युद्ध के मैदान से
,
कौन समझाए किसे सब हैं अहम ओढ़े हुए
हर कोई जीता हमीं हारे हर इक नादान से
,
थी कमी बस यह हमारी जानते थे है जहर
जो उठाया और खाया था बडे सम्मान से
,
बस्तियां निगलीं समंदर अब लहर बन छा गया
और जाना जाएगा अब फिर उसी उन्वान से
,
खेल जिसका है सदा जारी वही है जिंदगी
आप मानो या न मानो मत डरो तूफान से
@
जिधर देखिए बस घपला है जैसे हर सब्जी में आलू
यह सच्चाई कहते कहते सूख गया है सबका तालू
17 वर्षों बाद ही सही जागी अपनी न्यायपालिका
लालू ने तब खाया चारा अब चारे ने खाया लालू
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
sp109