Shayari
मेरा किस्सा जिसके चारों ओर भटकता है,
चांद उसी की गली से तो निकलता है,
हमारा हाथ छुड़ाए छोड़ता नहीं वह अब,
जो सारी दुनिया का हाथ झटकता है।
मेरा किस्सा जिसके चारों ओर भटकता है,
चांद उसी की गली से तो निकलता है,
हमारा हाथ छुड़ाए छोड़ता नहीं वह अब,
जो सारी दुनिया का हाथ झटकता है।