romance is affair
अरे मिया क्या बात है बड़े शांत और खुशमिजाज बैठे हो ? कही कुछ खो तो नही गया । नही भाई जान खो गया नही मैं खो गया हूँ । अरे यार दो अर्थों में बात करने की तुम्हारी आदत नही गयी , हा तुम समझते हो ना बस , और क्या ,इस दुनिया मे तो लोग अपने स्वार्थ और दुख से परेशान हैं वो क्या मेरा तकलीफ समझेंगे भाई जान ? , फिर भी यार कोई तो हमसफ़र होगा ।हॉ भाई जान हमसफ़र ! हमसफ़र ! था अब नही रहा । क्या हुआ ? हुआ ,क्या उसे फुर्सत ही नही । सब व्यस्त हैं कोई काम के बहाने में ,तो कोई किसी को ये कहने में कई मैं व्यस्त हूँ ,अब किसे डिस्टर्ब करे , इससे अच्छा तो कम्पनी वाली है ,कहती तो है ” आप जिस इंसान को फोन कर रहे हैं वह करेंटली स्विच ऑफ है कुछ देर बात फोन करे “। ये तो बात है मिया , इसमें कोई बैचनी नही हैं । सभी भाग रहे हैं ,और हम भी भाग रहे हैं बस पैसा ,पैसा,पैसा करते हुऐ । लेकिन मिया पैसा न कमाए तो क्या हम ख़ुशी से रह पाएंगे क्या ? नही , भाई जान । अब पैसा पानी की तरह हो गया है ,जिसे नही कमाया जाएगा ना तो हम मर जायेंगे। सोचो लोग कहते तो है कि पैसा से खुशी नही खरीद सकते हैं ,बाकी सब कुछ खरीद सकते हैं । हा ! लेकिन वह झूठ बोलते हैं देखो मिया इंसान अपनी इच्छाओं का कठपुतली होता है उसे अपनी इच्छा पूरा हो जाने में खुशी मिलती है और उसका वही सुख है ,जानते हो गाड़ी में पेट्रोल की जरूरत होती है तो इच्छाओं की पूर्ति के लिए पैसा की जरूरत होती है । सोचों जरा एक छोटे बच्चे को एक रुपया मिला नही की दुकान पर टॉफी लेने भागता है ,उसे बस टॉफी की तलब होती है कि मिल जाये ,और टॉफी बस इसी कागज से मिलेगा । क्या पता कितना मिलेगा लेकिन टॉफी मिल जाएगा । तो मिया अब जीवन कागज की तरह नही है जिस पर लिखा हो कि भाग्य में जो होगा वह मिल ही जायेगा , अब कृत्रिम और ऑनलाइन कागज हो गया है जिसमे इंटरनेट रूपी पैसा लगता हैं और इसके लगते ही दुनिया सतरंगा दिखने लगती है ,लेकिन मिया इसमें मजा नही मिलता ? लगता है जीवन का कुछ हिस्सा खो गया है जिसमे सिर्फ उदासी ही है ,” कभी सोचता हूँ कि , ‘मिला ही क्या मुझे जो हर शाम मैं उदास रहूं, तोड़ता रहूं पत्थरो को कब तक ,जब उसका मकान बनने से रहा नही ” ।।।
अरे छोड़ो मिया यह साला जीवन और जीवन का दुख ,इसकी फिलॉसफी ना बताओ तुम , इसकी फिलोशफी में कोई दम नही ,क्योकि कब क्या होगा पता नही लेकिन ताना तो सुनना पड़ेगा ।। तो मिया तुम समाज के ताने बाने से डरते हो ।नही ! फिर ! स्वयं से डरता हूँ मिया , की खुद बनने के चक्कर मे खुद को ना खो दू । क्या बात करते हो ,भाईजान ! ये तो बात 16 आने ठीक है कि तुमने कम त्याग नही किया । लेकिन किसको बताओगे की तुमने क्या क्या किया , कोई सुनने वाला थोड़ी है सबको अपनी तारीफ से फुर्सत नही ,और दूसरे के बुराई से टाइम नही । खैर मिया आज क्या हुआ तुम्हे की तुम बिस्तर में पैर डाले और राजाई ओढ़े सब कह रहे हो । कुछ भी तो नही ।बस ऐसे ही ,किसी की याद आ गयी ! ऐसा तो नही है फिर ,? ऐसा ही है भाई । अब कोई शौतन तो है नही की उसे ही याद करता रहूं । अरे तुम्हारी मोहब्बत का क्या हुआ ? कौन सा ! अरे वही जिसके याद में नगमे लिखे हो ,जिसका इंतजार आज भी करते हो ! खैर तुम्हारी भी आशिकी आशिकी है भगवान तुम्हे लायक बनाता नही ,और तुम्हें मोहब्बत मिलती नही । लेकिन एक बात है मिया तुम पूरी दुनिया से लड़ सकते हो ,लेकिन अपने मोहब्बत से नही लड़ सकते हो ,क्योकि तुम डरते हो कि कही उसे खो ना दो । नही भाईजान । ऐसा नही है । फिर तुम आज क्यो इतना मदहोश हो । मैं देख रहा हूँ तुम्हे बहुत अकेले रहते हो , न किसी से मतलब ,न किसी से तू तू मैं मैं , हर दम कटे कटे रहते हो । नही भाई जान मैं हमेशा मस्त रहता हूँ । लेकिन मैं सोचता हूँ अगर मैं मोहब्बत अपनी पा भी लू जबरदस्ती ,इंतजार करके ,मुझे नही लगता कि उसमें वह रस नही रह पाएगा जब मैंने पहली बार देखा,और मेरे दिल मे प्यार जगी । और अगर मैं शादी भी कर लूं ,तो मुझे नही लगता कि मुझे शादी में आनंद आएगा,क्योकि वह भाव ही नही मिलेगा जो एक नए जोड़े में मिलता है कि दोनों एक दूसरे के बिना रह पाए , मुझे लगता है कि मैं अगर पा भी जाऊ तो कुछ अधूरा रहेगा । अरे! मिया क्या बात करते हो ! प्यार ,मोहब्बत,शादी,पा लू ,खुश ,दुख अगैरह वैगरह …..। छोड़ो मर्दे प्यार करो , नही जमता तो छोड़ो क्या रखा हैं एक मे , वह सुने हो गाना तेरे 75 यार वाला ‘। देखो मिया ये सब तुम्ही सुनो । हमको अपनी पड़ी हुई हैं ,और प्यार और मोहब्बत भोलेनाथ को प्यारा हो ,क्योकि आज कल की छमिया और मासुकाये पैसा देखती हैं कि कितना कमाते हो। देखो मिया हमे अपने आप पर भरोसा है कि एक दिन कमाएंगे , लेकिन कितना यह पता नही । हा इतने तो जरूर होंगे कि कोई भी हमारे दरवाजे से खाली हाथ नही जायेगा । अरे मिया ! ये हुई ना मर्द वाली बात , चलो इसी बात पर आज पनीर की सब्जी खाते हैं गरम मसाला, का तड़का दिए हैं और उसमें प्याज मिक्सचर में पिसे नही बारीक बारीक काटे है और तो और उसमें दही भी डाले है उंगुलिया चाटते ही रहोगे ।समझे और एक बात मिया , जीवन है इसमें धैर्य रखना होता है ,जिसको आना था ,आ गया ,और जिसको जाना था चला गया , जीवन एक मंदिर है जहां भक्त गढ़ आते है अपनी मुराद ले कर और भगवान जब उनका खुश हो जाता है तो वही बस जाते हैं ।ऐसे इंसान हैं जो उसे पसन्द उससे वह प्यार करेगा, मोहब्बत करेगा, गाली सुनेगा,उसकी तारीफ भी करेगा, और उसके साथ संभोग भी करेगा । और जो नही पसन्द उसे वह भगा देगा दुर दुरा कर ,फिर इंसान पिलई की तरह कै कै रोते हुए कहेगा मेरा सब कुछ लूट गया । छोड़ो मर्दे ,ये सब चुतियापा हैं । जानते हो ना माशूका को उतने भाव दो जितने में वह बीके समझे । चलो आज पनीर खाते हैं । हा मिया भाई , लेकिन कैरियर … । फिर बोले । तुम । समझते नही हो धैर्य रखो ।।।सबका समय आता है । लगे रहो ।।।
मिया आख़िर तुमने मन से नही खाई पनीर , अरे नही ऐसी बात नही, थोड़ा मिर्चा अधिक हो गया था ।अच्छा छोड़ो ,और बताओ क्या फरियाद लाये हो आज । कुछ भी तो नही ,जो कुछ है वह तुम्हारे सामने ही हैं । नही मिया कुछ तो है , क्या है कुछ भी तो नही जब मन करते हो कहते हो कुछ तो है क्या है बाबा जी का घण्टा । अरे चिल्लाते क्यो हो , कोई बुरा तो नही मैंने तुम्हें , तुमसे पूछ ही रहा हूँ । अरे भाईजान एक ही बात पूछोगे तो गुस्सा किसे नही आएगा । अरे बुद्धू मेरे पूछने का अर्थ है कि उदास होकर ,ज्ञान बाटते रहते हो ,कभी मौन होकर जिंदगी जिओ तो सही ।बड़ा मजा आता हैं जैसा लगता हैं हम ही बुद्धिमान है । अरे नही भाई ,वो तो ठीक है लेकिन जानते हो आदमी को एक सेसक्स्फुल बनने के लिए उसका दुख ही उसे मार डालता हैं जब वह इंसान मिडिल क्लास का हो तो वह दिन रात मरता ही रहता है , लेकिन जिंदगी हैं ।अरे मिया जिंदगी ! की बात करते हो जो चिल्लाकर कहती हैं जीने नही दूंगी । आज से जिंदगी को जीवन कहो, क्योकि जीवन मतलब जाओ वन में जिओ । क्या पागलपंती है भाई ,जिंदगी और जीवन एक ही तो है । कहा अलग अलग है देखो इंसान में महिला और पुरुष होते हैं लेकिन कहलाते इंसान ही हैं । तो ऐसे जीवन और जिंदगी अलग अलग है । जिंदगी थोड़ा लिटरेचर वाला फिलिंग देता है , जबकि जीवन गाँव का देशीपन देता है । तब तो लाइफ अलग ही देता होगा , हा बिलायती भाषा है ।
वैसे भी भाई जान प्रतिबन्धों के मध्य रह कर मैने अपनी जीवन बिताई हैं काश स्त्री होता , तो टूटता नही ,आदत हो जाती बंद कोठरी में रहने की । पता नही सारे नियम मेरे लिए ही बने हैं , मैं ऊब चुका हूँ जीवन के सतरंगी स्वार्थ से , मुझे इन बन्धनों से कोई मोह नही सबको स्वतंत्र रहने दो , और सभी को मरने दो , अब लगता हैं मुझमे कोई सवेंदना ही नही बची हैं अब बड़ा अजीब लगता है , करोगे बकलोली , ज्यादा ज्ञानी हो गए हो क्या , नही !गुरु ! हम कह रहे थे । तो हमरी भी ज्ञान सुनो ।
मिया मनुष्य परार्थ की भावना से जन्मा एक कीड़ा है ,वह दूसरों से चाहता है कि तुम सवेदनशील बनो, वंचितों की रक्षा करो , दुसरो की मदद करो ,लेकिन जानते हो जब अपनी बारी आती है तो कहता है ” मेरे पास समय कम है ,मुझे काम है थोड़ा ,मेरी तबियत खराब है”। इतने टालमटोल करता है कि परार्थ से स्वार्थ की तरह कब जाता है वह खुद नही जानता ।
अरे भाईजान थॉमस होब्स ने भी कहा है मनुष्य साला स्वार्थी होता है । …
मतलब बुझ गए बाबू , मनुष्य को । नही ! वह तो पैसे के आगे भागता हुआ ऐसा बन गया है ,देखो तुम्ही गरीबी कहा मिलती हैं शहर में , गाँव मे क्यो नही क्योकि गाँव मे सब मिल जुल कर रहते है और दुख आने पर एक दूसरे की मदद कर देते हैं ताकि उसके बाल बच्चे खा पी ले । जानते नही हो मिया ! गाँव मे बात तब बझती है जब घर मे शादी पड़ती हैं , जानते हो इंसान अगोरता हैं कि हम इनके में गए थे तो हमारे में भी आएंगे , और कहेंगे कि उनके बिटिया में हमने झुमका,दिया,टाकी दिया, बल्टी और देखते है हमरे बिटिया में का मिलता है ।
सोचो स्त्री कहती हैं मैं वंचित हूँ मेरी मदद करो , सविधान कहता है स्त्री को वंचित और आरक्षण वर्ग में रखो , लेकिन मिया जानते हो भगवान ने भेजा हम दोनों को , यहां आकर हम नियमो और कानूनों में बंध गए , एक बादशाह होगया ,दूसरी उसकी गुलाम । क्या वह लड़ नही सकती ,किसका डर है ,समाज का , देश का ! देखो मिया ये सब बहाने है , रानी लक्षमी बाई तलवार उठा ली ,हमे अपनी लड़ाई खुद लड़ना है , लेकिन आज इन्हें डर हैं कि “समजवा का कहेगा ” । तुम पैदा हो गई ,तो समजवा ने मिठाई बांटी , अगर लड़ के जीत गयी तो तुम्हे माला पहनाएगी ।
देखो मिया सब कुछ माया के आगे ,और हमारे आगे माया चल रहा है , तभी तो मिया ,आज विचार से ज्यादा पैसा हो गया , प्रेम से ज्यादा टाइम पास हो गया , चिट्ठी से ज्यादा व्हाट्सएप हो गया भाई ,का ट्रेंड है इंस्टाग्राम का फटाक से रील बन जाता है लेकिन साला कैरियर नही बनता ,सफल होने के लिए आदमी झक मरा लेता है ,लेकिन क्या है बाबा जी का ठुलु । अरे मिया ,अपने आशिक “ईश्वर और खुदा पर भरोसा रखो , जानेमन रूठ गयी है ,हसीना कभी तो मान जाएगी ।
लगता है तुम्हरी जानेमन रूठ गयी है क्या ? , अरे मिया जानेमन होगी तब ना रूठेगी , वो तो भाव ही नही देती । अरे बा रे मेरे आशिक , बड़ा इंतजार करते हो ,इतना भगवान का करते तो दर्शन मिल जाता , हा सही कह रहे हो वह है ना भोलेनाथ बहुत जल्दी खुश होते हैं उनसे वरदान मिलेगा न तो उसी को मांग लूंगा । चप्पल उतार के मारेंगे साले जब भाव ही नही देती तो वरदान भी खराब करोगे ,साले एक दम से छूछूमाछर हो क्या , छोड़ो उसे ,देखो मजा लो , जैसे तो तैसा रहना सीखो ,वरना एक ही जीवन मिली है किसी के इंतजार में गुजर जाएगी ।
कही वह जिद्दी आशिक तो नही बन गए क्या, दुल्हनिया जाएगी दिलवाले के साथ । ऐसा तो नही है ना , नही मिया हम तो सोच रहे थे ‘ सख़्त लौंडा बनने की । ” मेरी चप्पल देख रहे हो ,बेटा फेक कर मारूंगा ,आने वाली नस्ल करिया ही पैदा होंगी । देखो मिया एक ही मिली थी ,वह भी भाव नही देती ,तो अब कहा मुह मारे , साले तुम खड़े हो जाओ ,एक बार लाइन लगती हैं ,और उसके पीछे पड़े हो , बा बेटा , तुम्हारी आशिकी नही , इंस्टाग्राम का रील है , बनाओ मर जायेंगे सनम तुम्हारे बिना , आओ जल्दी से । बनाओ साले कुत्ता भी नही सूंघेंगा तुमको । रहने दो मिया इसी बहाने पिसाब तो करेगा । वाह!वाह! क्या नजीर है तुम्हारी । चप्पलवा कहा गयी मेरी ।।
कबीर दास ने ठीक ही कहा है”प्रेमी ढूंढत मैं फिरूँ , प्रेमी मिलै न कोई, प्रेमी कूँ प्रेमी मिलै तब, सब विष अमृत होई । वाह ! वाह ! क्या नजीर है तुम्हारी मिया , मरो साले अकेले । क्या कहते हो तुम सख्त लौंडा हो तो बनो । हा भाई जान अब छोड़ो भी , क्या रखा है इस चूतियापे में । हा वैसे भी कुत्ते के मुत्तने का नजीर देते हो ,क्या फर्क पड़ेगा तुम्हे । हा चलो आज पूरी खाने , चलो ।
मियां तुम कहते हो प्यार खुलकर ,बेइंतहा , और डूबकर करना चाहिए । फिर तुम क्यो नही करते ? भाई जान लोग मोहब्बत करते हैं और मोहब्बत – प्यार में अंतर होता है , प्यार सबको नही होता , और मोहब्बत सबसे होती हैं , प्यार वही कर सकता हैं जो सबको समान रूप से देखता है ऐसा नही की ” गर्ल फ्रेंड ने कहा बाबू थाना थाया “,तो बाबू नही कहा हैं तो भी कहता है खाया हूँ , यह झूठ है और झूठ प्यार में नही होता है वह मोहब्बत में होती हैं , प्यार निर्मल और एक बच्चे की तरह शुद्ध है ।
इसलिए वह सबसे नही होता है लेकिन जिससे होता है वो इसकी कीमत नही समझता है क्योकि उसे मोहब्बत करनी होती हैं ,और प्यार अधूरा रहता है और हम चिल्लाकर कहते हैं कि मेरी मोहब्बत अधूरी रह गयी । खैर मिया प्यार का अधूरा रहना ठीक है ,कृष्ण ने कहा था ” जिससे प्यार हो उससे शादी न करना । क्योकि प्यार में दोनों आत्मा एक हो जाती हैं तो एक इंसान खुद से शादी क्यो करेगा ।
इसलिए कहता हूँ मोहब्बत ही करे क्योकि प्यार कोई नही कर सकता । पर भाई जान तुम्हारे सिद्धान्त ?
महिला के आगे पूरा ब्रह्मांड झुक गया हो ,तो सिद्धान्त भी झुक जाएंगे ,क्योकि स्त्री जब प्रेम करती हैं तो सारे बंधन उसके सामने फीके पड़ जाते है ।और जब दुत्कारती है तो उसे स्वयं ब्रह्मांड के पुजनीय शिव भी नही मिला सकते ।
~Rohit